बता दें कि जर्मनी की राजधानी बर्लिन में भारतीय अधिकारियों ने पिछले महीने बच्ची अरिहा शाह के साथ दिवाली मनाई। इसके साथ ही जो दो साल से अधिक समय से अरिहा जर्मन राजधानी में एक फॉस्टर होम (पालन पोषण केंद्र) में रह रही है।
बता दें कि 23 सितंबर 2021 को जब अरिहा सात महीने की थी तो उसे आकस्मिक चोट लगने के बाद जर्मनी के युवा कल्याण कार्यालय में रखा गया था। वह तब से फॉस्टर होम में ही है।
इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को कहा कि पिछले महीने के दूसरे सप्ताह में अरिहा को राजनयिक पहुंच दी गई और भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उसके साथ दिवाली मनाई।
बागची ने कहा कि भारत यह तर्क देते हुए उसकी शीघ्र भारत वापसी के लिए दबाव डाल रहा है कि बच्चे के लिए उसके भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक वातावरण में रहना महत्वपूर्ण है।
अरिंदम बागची ने आगे कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है, हम इसकी निगरानी करना जारी रख रहे हैं। हमें काउंसलर एक्सेस देने की इजाजत मिल गई है। बागची ने कहा कि हम बच्ची को भारतीय संस्कृति के बारे में समझाने में सक्षम हुए हैं।
बागची ने कहा कि हमने भारतीय त्योहारों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं से संबंधित संसाधन जर्मन अधिकारियों को सौंप दिए है, ताकि बच्ची को वैसे ही माहौल मिल सके।
इस कारण जर्मनी के फॉस्टर होम में रह रही अरिहा
अरिहा के पिता भावेश गुजरात के सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वो पत्नी धारा के साथ 2018 में बर्लिन गए थे। इसी दौरान 2021 में जब अरिहा 7 महीने की थी तो जर्मन अधिकारियों ने उसे फॉस्टर होम में रख लिया था। उनका आरोप था कि अरिहा के माता-पिता ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया है।
दरअसल, अरिहा के माता-पिता का कहना है कि उसकी दादी से गलती से चोट लग गई थी। जब अरिहा को अस्पताल ले जाया गया तो उसके घरवालों पर उसका यौन उत्पीड़न करने का शक जताया और मामला दर्ज किया। हालांकि, बाद में अधिकारियों ने हमले के आरोप तो हटा दिए, लेकिन माता-पिता को लापरवाह मानते हुए अरिहा को फॉस्टर होम में रखा।