आज से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि

आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि रहती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा और अनुष्ठान आरंभ होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी मां पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है।

नवरात्रि में क्यों बौया जाता है जौ

कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा भी होती है। जौ को प्रतीकात्मक रूप से सुख, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। इसे मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसके बढ़ने को शुभ संकेत माना जाता है।

नवरात्रि पर क्या नहीं करना चाहिए

1- नवरात्रि पर घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए।
2- नवरात्रि पर खाने में मांसाहार, लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
3- नवरात्रि के दिनों में अगर आपने घर में कलश स्थापना किया हुआ है तो घर को खाली छोड़कर नहीं जाना चाहिए।
4- नवरात्रि पर दाढ़ी,नाखून और बाल नहीं कटवाना चाहिए।
5- नवरात्रि पर बेवजह किसी वाद-विवाद में नहीं पड़ना चाहिए।

नवरात्रि पर क्या करना चाहिए

  • नवरात्रि पर अखंड ज्योति जरूर जलाएं
  • देवी मां को प्रतिदिन जल अर्पित करें
  • नवरात्रि पर हर रोज जाएं मंदिर
  • नौ दिनों तक देवी दुर्गा की विशेष पूजा और श्रृंगार करें
  • नवरात्रि पर नौ दिनों तक रखें उपवास
  • अष्टमी-नवमी तिथि पर विशेष पूजा और कन्या पूजन करें
  • ब्रह्राचर्य का पालन करें

नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व

नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है। मार्कण्डेय पुराण में दुर्गा सप्तशती उल्लेख किया गया है। मां शक्ति की उपासना के लिए दुर्गा सप्तशती श्रेष्ठ ग्रंथ माना है। इसमें 700 श्लोक और 13 अध्याय है।

1. प्रथम अध्याय : इस अध्याय में मेधा ऋषिका राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु कैटभ का प्रसंग

2. द्वितीय अध्याय : दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय में देवताओं के तेज से देवी मॉं का प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना का वध

3. तृतीय अध्याय : इस अध्याय में मां दुर्गा द्वारा सेनापतियों सहित महिषासुर का वध

4. चतुर्थ अध्याय : इंद्र समेत सभी देवी- देवताओं द्वारा देवी मां की स्तुति

5. पंचम अध्याय : देवी की स्तुति और चण्ड-मुण्ड के मुख से अम्बिका के रूप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ का उनके पास दूत भेजना और फिर दूत का निराश लौटना

6. षष्ठम अध्याय : धूम्रलोचन- वध

7. सप्तम अध्याय : चण्ड-मुण्ड का वध

8. अष्टम अध्याय : रक्तबीज का वध का वर्णन

9. नवम अध्याय : विशुम्भ का वध

10. दशम अध्याय : शुम्भ का वध

11. एकादश अध्याय : सभी का वध करने के बाद देवताओं के द्वारा देवी की स्तुति और फिर देवी द्वारा देवताओं को वरदान देना

12. द्वादश अध्याय : देवी-चरित्रों के पाठ का माहात्म्य

13. त्रयोदश अध्याय : सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान

कलश स्थापना पूजा सामग्री

  • 7 तरह के अनाज
  • मिट्टी का बर्तन
  • मिट्टी
  • कलश
  • गंगाजल या सादा जल
  • आम,अशोक या पान के पत्ते
  • सुपारी
  • सूत
  • मौली
  • एक जटा वाला नारियल
  • माता की चुनरी
  • अक्षत
  • केसर
  • कुमकुम
  • लाल रंग का साफ कपड़ा
  • फूल- माला