मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऐसी ऑटोइम्यून डिजीज है, जो व्यक्ति के दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करती है। दरअसल, दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड के नर्वस को सुरक्षित रखने के लिए उनके चारों ओर एक सुरक्षित शीथ होती है, जिसे माइलिन कहा जाता है। माइलिन दिमाग और शरीर के अन्य अंगों के बीच संदेश का आदान प्रदान करने का काम करता है। लेकिन Multiple Sclerosis (MS) की कंडिशन में इम्यून सिस्टम इन शीथ को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, जिसके कारण ब्रेन और अन्य अंगों के बीच ठीक से मैसेज नहीं जा पाता है।
इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल 30 मई को World Multiple Sclerosis Day मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम है Multiple Schlerosis की जल्द से जल्द पहचान करना और इसका सही इलाज करना। इस कंडिशन को चार प्रकार में बांटा जा सकता है, जिसमें क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक Relapsing-remitting multiple sclerosis (RRMS) सबसे सामान्य है। मल्टीपल स्क्लेरोसिसके मरीजों में 85 प्रतिशत लोगों को RRMS है। आपको बता दें कि इसमें मल्टीपल स्क्लेरोसिसके नए या पुराने लक्षण फिर दे दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। यह कुछ समय के लिए नियंत्रित रहते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फिर से दिखने शुरू हो जाते हैं या और गंभीर हो जाते हैं।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के फ्लेयर अप्स शुरू होने के बाद हर घंटे के साथ गंभीर होते जाते हैं और कुछ दिनों तक बरकरार रहते हैं। इसलिए इसकी पहचान करना जरूरी है। आइए जानते हैं क्या हैं Multiple Sclerosis Flare-Ups के लक्षण।
फ्लेयर अप्स के दौरान क्या लक्षण दिख सकते हैं?
- थकान
- चक्कर आना
- ब्लैडर रेगुलेशन में दिक्कत
- संतुलन का बिगड़ना
- मांसपेशियां कमजोर होना
- ब्रेन फॉग या सोचने में
- तकलीफ
- डिप्रेशन
- मांसपेशियों में अकड़न
- हाथ-पैरों में झनझनाहट
- कांपना
- धुंधला दिखना
- मूड में बदलाव
कैसे कर सकते हैं इसे मैनेज?
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षणों को पूरी तरह रोकना मुमकिन नहीं है न ही इसका इलाज संभव है, लेकिन डॉक्टर और दवाइयों की मदद से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही, स्ट्रेस मैनेज करके, कॉग्नीटिव हेल्थ का ध्यान रखकर, हेल्दी डाइट फॉलो करें, एक्सरसाइज करें और मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने से इसके लक्षणों को मैनेज करने में और फ्लेयर अप्स को कम करने में काफी मदद मिलती है।