पाकिस्तान के साथ सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर पीरपंजाल पर्वत के दाहिने छोर तक पांच जिलों में फैली ऊधमपुर-डोडा-कठुआ संसदीय सीट (Udhampur Doda Kathua seat) पर इस बार चुनावी दंगल रोचक रहेगा। बुधवार को नामांकन करने का आखिरी दिन था और अंतिम दिन तक 15 प्रत्याशी मैदान में आ गए, लेकिन मुख्य मुकाबला दो ‘सिंहों’ के बीच ही रहेगा।
एक अपना गढ़ बचाने और लगातार तीसरी जीत का रिकॉर्ड बनाने के लिए मैदान में है तो दूसरा अपने खोये गढ़ के साथ राजनीतिक रुतबा फिर पाने के लिए चुनाव लड़ रहा है। इन दोनों में एक भाजपा (BJP News) के उम्मीदवार डा. जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) हैं, जिन्होंने वर्ष 2014 और 2019 में यह सीट जीती। दूसरी तरफ कांग्रेस के चौधरी लाल सिंह (Chaudhary Lal Singh) हैं। जो वर्ष 2004 और वर्ष 2009 में इसी सीट से दो बार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) जीत चुके हैं।
वह हाल ही में 10 साल बाद कांग्रेस में लौटे हैं। जम्मू कश्मीर की सभी पांच लोकसभा सीटों में अनंतनाग-राजौरी (Anantnag-Rajouri) के बाद ऊधमपुर सीट एक ऐसी है, जिस पर सभी की नजरें हैं। कठुआ, ऊधमपुर, किश्तवाड़, डोडा व रामबन समेत पांच जिलों के इस संसदीय क्षेत्र का 90 प्रतिशत हिस्सा पर्वतीय है। यह क्षेत्र जलविद्युत उत्पादन परियोजनाओं के आधार पर प्रदेश और देश के विभिन्न भागों में विकास को गति प्रदान कर रहा है।
इसके बावजूद डोडा (Doda News) और किश्तवाड़ पिछड़े जिलों में गिने जाते हैं। इस पूरे क्षेत्र में हिंदू, मुस्लिम व सिख समुदाय और कुछ बौद्ध मतदाताओं के अलाव ईसाई मतदाता भी करीब सात हजार हैं। बेशक अन्य समुदायों की तुलना में हिंदू अधिक हैं, लेकिन कुछ हिस्सों में मुस्लिम वोटरों की भूमिका उम्मीदवार की जीत में महत्वपूर्ण रहती है।
इस संसदीय क्षेत्र के हिंदू मतदाताओं में सबसे ज्यादा राजपूत समुदाय के मतदाता हैं। इस सीट पर 15 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाने के लिए नामांकन पत्र जमा करा चुके हैं। इनमें भाजपा के डा. जितेंद्र, गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के जीएम सरूरी और कांग्रेस के चौधरी लाल सिंह प्रमुख हैं। जीएम सरूरी को वोट कटवा ही माना जा रहा है।
इसलिए इस बार का मुख्य मुकाबला डा. जितेंद्र सिंह और चौधरी लाल सिंह के बीच ही रहेगा। पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने वर्ष 2014 में इसी सीट पर तब कांग्रेस के दिग्गज गुलाम नबी आजाद को 60,978 वोटों से हराया था। वर्ष 2019 में उन्होंने कांग्रेस ही प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को 3.57 लाख वोट के अंतर से पछाड़ा।
इसलिए इस बार का मुख्य मुकाबला डा. जितेंद्र सिंह और चौधरी लाल सिंह के बीच ही रहेगा। पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने वर्ष 2014 में इसी सीट पर तब कांग्रेस के दिग्गज गुलाम नबी आजाद को 60,978 वोटों से हराया था। वर्ष 2019 में उन्होंने कांग्रेस ही प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को 3.57 लाख वोट के अंतर से पछाड़ा।
विक्रमादित्य सिंह जम्मू कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के पौत्र और डा. कर्ण सिंह के पुत्र हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के लाल सिंह से है। वर्ष 2014 में लाल सिंह कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए थे और उन्होंने उस समय जितेंद्र सिंह के पक्ष में ही चुनाव प्रचार किया था। लाल सिंह वर्ष 2004 और वर्ष 2009 में इसी सीट से दो बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।