नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग छह गुना बढ़ गया है। एनएसई के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने 16वें कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बढ़ा है।
देश का बाजार पूंजीकरण 440 लाख करोड़ रुपये
चौहान ने बताया कि अमेरिका, चीन (हांगकांग सहित) और जापान के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और विकास को दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि 1994 में एनएसई का संचालन शुरू हुआ। इसके बाद से, देश का बाजार पूंजीकरण 120 गुना से अधिक बढ़ गया है। वर्तमान में, बाजार पूंजीकरण लगभग 440 लाख करोड़ रुपये है, जो लगभग 5.1 ट्रिलियन डॉलर है।
पूंजी बाजार देश की आर्थिक वृद्धि को बल दे रहा
अधिक जानकारी देते हुए चौहान ने कहा कि पिछले दशक में बाजार पूंजीकरण और जीडीपी का अनुपात दोगुना से भी अधिक हो गया है। यह वित्त वर्ष 2014 में 60 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 124 प्रतिशत हो गया है। यह वृद्धि महत्वपूर्ण है, खासकर यह देखते हुए कि 2,500 से 20,000 डॉलर के बीच प्रति व्यक्ति आय वाले किसी भी अन्य देश का बाजार आकार भारत जितना बड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय इक्विटी का बाजार पूंजीकरण अब बैंकिंग क्षेत्र के आकार से लगभग 1.6 गुना बड़ा है। इससे पता चलता है कि पूंजी बाजार देश की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
भारत जल्द ही चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है। उम्मीद है कि जापान को पीछे छोड़कर भारत 2025 के अंत तक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत ने 13वें स्थान से शुरुआत की थी और वर्तमान में हम 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।
चौहान ने कहा कि यह वृद्धि संरचनात्मक है और अस्थायी नहीं है। यह मजबूत घरेलू खपत, अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण, व्यापक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सिर्फ 28 वर्ष की औसत आयु वाली युवा आबादी द्वारा संचालित है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने पहले ही यूनाइटेड किंगडम के साथ एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों के साथ इसी तरह के सौदों पर काम कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, भारत 2027 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा और 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।