किसानों के साथ किया संवाद, कहा- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना जरूरी

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्रदेश में सोनीपत क्षेत्र की भूमि बेहतर है। यहां का किसान अन्न पैदाकर देश-विदेश के लोगों का पेट भरता है। आज रासायनिक खेती जहर युक्त खेती हो चुकी है। रासायनिक खाद डालने के बाद उत्पन्न अनाज खाने से लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ज्यादा रासायनिक खाद के प्रयोग की वजह से यहां की भूमि बंजर हो चुकी है। ऐसे में बीमारियों से बचने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना जरूरी है। भावी पीढिय़ों को शुद्ध जल, भोजन व हवा बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत शुक्रवार को मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहे थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से प्राकृतिक खेती पर किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती करने के लिए देसी गाय के गोबर व गोमूत्र का इस्तेमाल करना चाहिए। एक एकड़ जमीन पर 300 क्विंटल गोबर डालकर या 150 क्विंटल वर्मी खाद डालकर प्राकृतिक खेती की जा सकती है। शुरुआत के तीन साल तक लागत ज्यादा पैदावार कम होती है, उसके बाद लागत घटकर मुनाफे वाली खेती हो जाती है। प्राकृतिक खेती के दौरान एक एकड़ में धान की फसल उगाने पर मात्र 2000 रुपये का खर्च आता है और पानी की खपत 50 फीसदी रह जाती है। पैदावार 32 क्विंटल प्रति एकड़ हो रही है। धान की सामान्य खेती के दौरान खर्च 10 गुना बढ़ जाता है। पानी की खपत ज्यादा हाेने से पैदावार घटकर 28 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि जहां रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग ज्यादा होता है वहां कैंसर के तीन गुना ज्यादा मामले हैं और आने वाले समय में और बढ़ेंगे। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब के भठिंडा क्षेत्र में किसानों ने इतने ज्यादा कीटनाशक प्रयोग किए कि वहां से प्रतिदिन एक ट्रेन कैंसर रोगियों को लेकर बीकानेर तक जाती है और इस ट्रेन का नाम ही कैंसर ट्रेन रख दिया। उन्होंने कहा कि 1 से 3 अगस्त तक नई दिल्ली में आयोजित देशभर के राज्यपालों के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने प्राकृतिक खेती की जानकारी दी। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्राकृतिक खेती को देशभर में बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रम के अंत में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।