कोई व्यवस्थागत उल्लंघन नहीं हुआ, लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक सीमित

सु्प्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने प्रश्नपत्र लीक की चिंताओं के कारण विवादों से घिरी राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 परीक्षा को रद्द नहीं किया, क्योंकि इसकी शुचिता में कोई प्रणालीगत चूक नहीं पाई गई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाए गए आदेश के विस्तृत कारणों में कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को अपना ढुलमुल रवैया बंद करना चाहिए क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट-यूजी 2024 के पेपर में कोई व्यवस्थागत उल्लंघन नहीं हुआ है। लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक सीमित था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र द्वारा गठित समिति परीक्षा प्रणाली की साइबर सुरक्षा में संभावित कमजोरियों की पहचान करने, जांच बढ़ाने की प्रक्रिया, परीक्षा केंद्रों की सीसीटीवी निगरानी के लिए तकनीकी प्रगति के लिए एसओपी तैयार करने पर भी विचार करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने अपने फैसले में एनटीए की संरचनात्मक प्रक्रियाओं में सभी कमियों को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम छात्रों की बेहतरी के लिए ऐसा नहीं होने दे सकते। इसलिए जो मुद्दे उठे हैं, उन्हें केंद्र को इसी साल ठीक करना चाहिए, ताकि ऐसा दोबारा न हो। पीठ ने कई निर्देश जारी किए तथा एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में केंद्र द्वारा नियुक्त समिति के दायरे का विस्तार किया। इसमें कहा गया है कि चूंकि समिति का दायरा बढ़ा दिया गया है, इसलिए समिति परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न उपायों पर अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर तक प्रस्तुत करे। राधाकृष्णन समिति को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के मद्देनजर उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने पर विचार करना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को विवादों से घिरे NEET-UG 2024 को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई डेटा नहीं है, जो प्रश्नपत्र के व्यवस्थित रूप से लीक होने और अन्य गड़बड़ियों का संकेत दे। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े और मैथ्यूज नेदुमप्रा सहित वकीलों की दलीलें करीब चार दिनों तक सुनीं थीं।

सीबीआई के आरोप पत्र में इन लोगों के नाम
इससे पहले नीट यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने जो पहला आरोप पत्र दाखिल किया है, उसमें उम्मीदवारों के साथ ही उम्मीदवारों के माता-पिता, इंजीनियर और पेपरलीक के सरगनाओं के नाम शामिल हैं। सीबीआई ने ये भी कहा कि अभी जांच चल रही है और इस मामले में एक पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) भी दायर की जाएगी। पहली चार्जशीट (आरोपपत्र) में 13 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें चार नीट उम्मीदवार, एक जूनियर इंजीनियर और पेपरलीक के दो सरगनाओं का नाम शामिल है।

नीट पेपर लीक मामले में खूब हुआ था हंगामा
गौरतलब है कि मेडिकल में प्रवेश के लिए कराई जाने वाली नीट परीक्षा में हुए कथित पेपर लीक को लेकर बीते दिनों देश में काफी हंगामा हुआ था और बड़ी संख्या में लोगों ने फिर से नीट की प्रवेश परीक्षा कराने की मांग की थी। विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर था और फिर से नीट परीक्षा कराने की मांग कर रहा था। मामला सुप्रीम कोर्ट गया और सुप्रीम कोर्ट ने माना कि परीक्षा के दौरान व्यवस्थागत खामियां नहीं हुईं और फिर से परीक्षा कराने से इनकार कर दिया।

 सीबीआई ने छह एफआईआर दर्ज की
नीट यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने छह एफआईआर दर्ज की हैं। नीट प्रवेश परीक्षा में धांधली के आरोप में सबसे पहले पटना पुलिस ने 5 मई को मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में 23 जून को सीबीआई को सौंप दिया गया। 5 मई तो हुई नीट परीक्षा में देशभर में 23 लाख छात्र शामिल हुए थे। अब तक नीट मामले में 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 15 आरोपियों को बिहार पुलिस ने पकड़ा था और अब तक इस मामले में 58 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया जा चुका है।