जम्मू-कश्मीर की सभी पांच लोकसभा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी भाग्य आजमाते रहे हैं। पिछले पांच लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर प्रत्याशियों की संख्या 80 के पार रही है, जिसमें निर्दलीयों की संख्या 30 से 40 फीसदी तक रही। 2009 से पिछले तीन चुनावों में निर्दलीयों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई।
2009 में 28, 2014 में 33 व 2019 में 36 आजाद मैदान में रहे हैं। वहीं 1999 में 28 तो 2004 में 37 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया था। हालांकि 1999 में निर्दलीयों ने कुल वोट का 9.63 प्रतिशत वोट हासिल किया लेकिन यह बाद में हुए हर लोकसभा चुनाव में कम होता गया। 2019 में 6.37 प्रतिशत मत निर्दलीय प्रत्याशियों ने हासिल किए थे।
1971 और 1977 में दो निर्दलीय पहुंचे संसद
जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में केवल दो निर्दलीयों को संसद तक पहुंचने का मौका मिला है। जम्मू से 1977 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ठाकुर बलदेव सिंह को संसद की चौखट तक पहुंचने का मौका मिला था। हालांकि, वह जनसंघ से जुड़े थे। इसके साथ ही श्रीनगर से 1971 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एसए शमीम को जीतने का मौका मिला था।