देश में 73 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं स्पीडिंग के चलते, इस पर नियंत्रण हो तो काबू में आ सकती है यह जानलेवा समस्या: विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य साल 2030 तक सड़क हादसों में होने वाली मौतों को आधा करना है। भारत भी इस लक्ष्य का हिस्सा है। केंद्र सरकार ने उम्मीद जताई थी कि भारत यह लक्ष्य समय से पहले हासिल कर लेगा। हालांकि, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की उस रिपोर्ट से इस उम्मीद पर सवालिया निशान लग गया, जिसमें कहा गया था कि साल 2022 में 2021 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में 11.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सड़क हादसों में होने वाली मौतों में इस दौरान 9.4 फीसदी और चोटों में 15.3 फीसदी की वृद्धि हुई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर सड़क पर होने वाली मौतों में 2022 में 11.9 लाख की ‘मामूली’ गिरावट आई है, जबकि 2010 के बाद से 5% की गिरावट दर्ज की गई है। दुनिया में सड़क हादसे में होने वाली सभी मौतों में से 28% अकेले दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में होती हैं। पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 25%, अफ्रीकी क्षेत्र में 19%, अमेरिका के क्षेत्र में 12%, पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में 11% और यूरोपीय क्षेत्र में 5% मौतें होती हैं।

सड़क सुरक्षा पर काम करने वाली संस्था कंज्यूमर वॉयस के सीओओ आशिम सान्याल कहते हैं, सड़क हादसों में कमी के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। हमें हादसे की मुख्य वजहों, सेफ सिस्टम अप्रोच और दुर्घनाओं के डेटा-आधारित विश्लेषण पर ध्यान देना होगा।

सान्याल कहते हैं, हम केवल तेज गति के बारे में बात करते हैं, जो 73 फीसदी सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। हताहतों की संख्या कम करने के लिए राजमार्गों और शहरी क्षेत्र, दोनों पर आदर्श वैज्ञानिक गति सीमाएं रखकर इसमें सुधार किया जा सकता है। समय आ गया है कि सरकार को सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। ये उपाय संसाधन या समय गहन हो सकते हैं, लेकिन हमें शुरुआत करने की जरूरत है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय 15 जनवरी से 15 फरवरी तक सड़क सुरक्षा माह मना रहा है। इसका मकसद सड़क सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर जनता के बीच जागरूकता फैलाना है।