जम्मू,
विनोद कुमार
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने यू-टर्न ले लिया है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनावों की घोषणा के साथ भी उमर अब्दुल्ला ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि उनका तर्क है कि पार्टी कैडर और आला नेताओं के दबाव चलते चुनाव मैदान में उतरने पर परामर्श किया जा रहा है। दरअसल राज्यपाल को अतिरिक्त अधिकार देने और राज्य का दर्जा बहाल नहीं होने के चलते उमर अब्दुल्ला ने विधानासभा के चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था। अपने इस फैसले की तस्दीक करते हुए उन्होंने कहा था कि मुख्यमं़त्री के पास चपड़ासी के तबालदे का भी अधिकार नहीं होगा, तो ऐसी सरकार का सीएम बनने का क्या लाभ। हालांकि उसके बाद पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने भी वही ब्यान दिया था।
शुक्रवार को एक कश्मीर बेस्ड़ न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैनें चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था, लेकिन पार्टी कैडर और बड़े नेताओं का लगातार दबाव बढ़ रहा है। पार्टी नेता चाहते हैं कि में चुनावी मैदान में उतरूं। उनका दूसरा तर्क है कि अगर वो चुनाव नहीं लड़ते तो उनके वालिद फारूक अब्दुल्ला को चुनाव लड़ना पडेगा। बकौल उमर, फारूक साहिब उमर दराज हैं और उनकी सेहत भी अब ठीक नहीं रहती है। लिहाजा उनकसे चुनाव लड़वाना ठीक नहीं होगा। उनका कहना है कि अपने चुनाव को लेकर जल्द ही फैसला लिया जाएगा।