नई दिल्ली: भारत में महंगाई बढ़ती जा रही है, और इसके कारण लोगों के वित्तीय स्थिति में कठिनाइयां आ रही हैं। देश के प्रमुख बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, ने एक रिसर्च में बताया है कि महंगाई के चलते लोगों की बचत के पैसे घट रहे हैं और उन पर कर्ज का बोझ भी बढ़ गया है।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में लोगों की बचत जीडीपी के पांच फ़ीसदी के आसपास रह गई है, जबकि पहले यह करीब 10 फ़ीसदी थी। इसके साथ ही, उन पर कर्ज का बोझ भी दोगुना हो चुका है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों पर कर्ज दो साल पहले की तुलना में 8.5 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया है। पिछले वित्त वर्ष में लोगों की बचत 55 फ़ीसदी कम हो गई है।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, लोग अब अपनी बचत का ज्यादातर हिस्सा फिजिकल एसेट्स में निवेश कर रहे हैं, जैसे कि होम लोन और अन्य रिटेल फाइनेंस की दरें तेजी से बढ़ रही हैं। वित्त वर्ष 2023 में घरेलू बचत जीडीपी के पांच फ़ीसदी के पास आ गई है, जो पिछले वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 11 फ़ीसदी से अधिक थी। यह स्तर 50 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
कोरोना संकट के बाद, लोगों की वित्तीय देनदारी बढ़ी है, और वित्त वर्ष 2020 में भी यह 7.6 फ़ीसदी के स्तर पर थी। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के ग्रुप इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने कहा कि लोगों द्वारा फिजिकल एसेट्स की तरफ अधिक ध्यान देने की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में रिकवरी आ रही है और प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ रही हैं।
इसके परिणामस्वरूप, लोग बचत के पैसों को निवेश में बदल रहे हैं, जिससे वे अपनी आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। महंगाई और कर्ज के बोझ के चलते, लोगों को अपनी वित्तीय योजनाओं को समीक्षा करने और सही निवेश के लिए समय निकालने की आवश्यकता हो सकती है।
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