केएमपी एक्सप्रेस-वे पर चलते वक्त आग के गोले मे तब्दील हुई टूरिस्ट बस में सवार लोगों ने मौत को करीब से देखा। रात की घटना को यादकर वह सिहर उठते थे। बात करने पर बस उनके मुंह से पहले यही निकलता था कि तीन युवक और अन्य कुछ ग्रामीण हमारे लिए देवदूत बन गए। चालक ने मारने का पूरा इंतजाम कर लिया था। बचाने की बजाय वह बस छोड़कर अपने साथी के साथ चंपत हो गया। बस में सवार महिला श्रद्धालु सरोज पुंज, निशा रानी, पूनम आदि ने बताया कि बस एयर कंडीशन थी और एक ही गेट था। बस में सवार लोगों को बचाने के चक्कर में गौतम शर्मा की भी जान चली गई। बस में आग लगते ही पूरी बस धुएं से भर गई।जैसे ही बस बंद हुई तो बस के दरवाजे भी ऑटोमेटिक लॉक हो गए। ऐसे में बाहर भी नहीं निकल पा रहे। आग की लपटों ने उन्हें घेर लिया। उनके सामने ही उनके अपने चीखते चिल्लाते काल के गाल में समा गए। अपने ही लोगों को इस तरह मरते देख कई महिला श्रद्धालु बेहोश होकर गिर पड़ी। बेहोशी की हालत में उन्हें निकाले या खुद अपनी जान बचाए समझ नहीं आ रहा था। मंजर इतना खौफनाक था कि क्या करें क्या ना करें यह भी समझ नहीं आ रहा था। बस में सवार निशा रानी बस में लगी भीषण आग की बात सुनते ही सिहर उठी। पथराई आंखों से महिलाएं अपने बच्चों और स्वजन को ढूंढती रही। अस्पताल में उपचाराधीन महिला श्रद्धालु भी अपने बच्चों को नाम लेकर पुकारती और फिर बेहोश हो जाती।
एसपी खुद मौके पर पहुंचे
घटनास्थल पर पहुंचे धुलावट के रहने वाले निसार अहमद, साजिद और शमीम ने बताया कि पहली बार देखा कि पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया स्वयं हादसे में घायल व झुलसे बच्चों और महिलाओं को एंबुलेंस में बिठाते देखे। पहली बार देखा गया कि दमकल विभाग की गाड़ियों के पहुंचने से पहले ही पुलिस अधीक्षक दलबल सहित घटनास्थल पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल भिजवाया। वहीं बस की फिटनेस को लेकर आरटीए मनीष सहगल ने बताया कि बस फिटनेस संबंधी सभी दस्तावेज पूरे हैं। बस के अंदर सुरक्षा उपकरण थे या नहीं उसकी जांच की जा रही है। क्योंकि बस पूरी तरह जल चुकी है। लोगों ने बताया कि दमकल कर्मी बाद में पहुंचे एसपी टीम के साथ पहले पहुंच गए। रास्ते से ही उन्होंने सीएमओ को काल कर पांच छह एंबुलेंस भेजने को कहा था। जिसके चलते एंबुलेंस समय से पहुंच गई।