साल 1996 के बाद श्रीनगर में हुआ सबसे अधिक मतदान, बिना हिंसा के शांतिपूर्वक माहौल में डाले गए वोट

चंद वर्ष पहले तक जब भी कोई चुनाव होते तो श्रीनगर शहर के अलगाववाद के सबसे बड़े गढ़ डाउन टाउन क्षेत्र में हिंसा, पथराव करती भीड़ याद आ जाती। अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान पर अधिकांश मतदान केंद्र वीरान नजर आते। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहले लोकसभा चुनाव में श्रीनगर संसदीय सीट में सोमवार को हुए मतदान में डाउन टाउन ही नहीं जिले के अन्य मतदान केंद्रों में वोट डालने वालों की भीड़ जुटी थी

हर मतदाता आंखों में अमन, तरक्की व खुशहाली की उम्मीद में मतदान करते नजर आए। बता दें कि यह वर्ष 1987 के बाद पहली बार है कि जब डाउन टाउन में चुनाव के दौरान ऐसा माहौल नजर आया। नौहट्टा हो या गोजवारा, कावड़ारा हो या शम्सवारी, जेनाकदल हो या खानकाह ए मौला, हब्बाकदल हो या राजौरी कदल, बहूरीकदल हो या फिर रैनावाड़ी, डाउन टाउन के हर इलाकों में खासा उत्साह दिखा, विशेषकर महिलाओं और युवाओं में ये वे इलाके हैं जो कुछ वर्ष पहले तक हिंसा के नाम से जाने जाते थे।

ऐसे बढ़ता गया मतदान प्रतिशत

सुबह नौ बजे तक सिर्फ पांच प्रतिशत तक मतदान हुआ था। इस दौरान सबसे ज्यादा 8.83 प्रतिशत मतदान गांदरबल में हुआ था, जबकि श्रीनगर के खानयार विधानसभा क्षेत्र में एक भी वोट नहीं पड़ा था। अगले दो घंटों में 11 बजे तक मतदान का प्रतिशत बढ़कर लगभग 15 प्रतिशत (14.94 ) हो गया। इस दौरान सबसे ज्यादा मतदान 22.68 प्रतिशत जिला गांदरबल के कंगन विधानसभा क्षेत्र में हुआ, जबकि सबसे कम मतदान श्रीनगर के हब्बाकदल विधानसभा क्षेत्र में 8.12 प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया।

जोश और जज्बे के आगे सर्द मौसम भी जोर न दिखा पाया

श्रीनगर में सुबह साढ़े सात बजे… लोग फिरन, गर्म जैकेट और स्वेटर पहनकर घरों से बाहर थे। चौक-चौराहों पर यहां भी देखो चुनाव की चर्चाएं थी। तड़के कई इलाकों में बारिश और बीते कल बर्फबारी से ठंड थी, लेकिन मतदाताओं का जोश व दिलों में गर्माहट पैदा करने वाले उनके जज्बों के आगे न तो बारिश और न ही सर्द मौसम जोर दिखा पाया।

चुनाव के चलते सार्वजनिक वाहन कम ही सड़कों पर दिखे। अधिकांश मतदाता चुनाव केंद्रों की तरफ पैदल रुख

कर रहे थे। अन्य इलाकों की तरह श्रीनगर- बारामुला हाईवे पर श्रीनगर का शालटेंग में मतदाताओं के चहेरों पर मुस्कान थी। सुरक्षाकर्मी भी मतदाताओं को मुबारक दे रहे थे।

शांत और सुरक्षित वातावरण में संपन्न हुआ मतदान

मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग के पोले ने कहा कि कश्मीर में आज 1996 के बाद सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। कहीं कोई हिंसा नहीं हुई है। मतदान पूरी तरह शांत और सुरक्षित वातावरण में संपन्न हुआ है। पूरे निर्वाचन क्षेत्र में 2135 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जहां 8500 से ज्यादा मतदान कर्मी तैनात थे। सभी मतदान केंद्रों की सीसीटीवी के जरिए निगरानी की जा रही थी। दो लाख के करीब पहली बार के मतदाता और विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं के लिए 26 विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र के लिए कुल पंजीकृत विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं थे।