स्थानीय उत्पादों को अब कठुआ में मिल पाएगा जीआई टैग

लाहौर और बोस्टन तक अपनी चित्रकला का लोहा मनवा चुका कठुआ जिले का बसोहली एक नई छलांग लगाने को तैयार है। यहां की चित्रकला और पश्मीना को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिल चुका है। अब इसके मानकों की जांच भी बसोहली में हो पाएगी। हथकरघा और हस्तशिल्प विभाग यहां जीआई टैग के मानकों की जांच के लिए लैब स्थापित करने पर काम शुरू कर चुका है। बसोहली में खुलने वाली इस लैब में चित्रकला में इस्तेमाल होने वाले रंगों से लेकर चित्रकारी के हुनर की परख होगी। बसोहली पश्मीना के धागों से लेकर इसकी कारीगरी की गुणवत्ता को भी यहीं जांचा जा सकेगा। इससे स्थानीय स्तर पर ही कारीगरों की कला को जीआई टैग मिल पाएगा। इसका फायदा यह होगा कि कला प्रेमियों को असली चित्रकला और पश्मीना उत्पाद खरीदने में आसानी होगी। दूसरा कोई भी व्यक्ति अपने भौगोलिक क्षेत्रों से बाहर इन उत्पादों की नकल नहीं कर पाएगा। इन दिनों बसोहली के रैहण बटाडा इलाके में जांच लैब का काम तेजी से जारी है।

बसोहली की चित्रकला को चार अक्टूबर 2023 को भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग)मिलने के बाद यह कारीगरी अब देश और दुनिया में बसोहली की पहचान बना चुकी है। चित्रकला देखने के लिए यहां देश-विदेश से कला प्रेमी हर साल पहुंचते हैं। एक समय था जब चित्रकला को लेकर बसोहली को एक संस्थान के रूप में देखा जाता था। वर्तमान में यहां की चित्रकला नई पीढ़ी तक पहुंचने के बजाय दम तोड़ने लगी है। इतना ही नहीं इस नगरी की चित्रकला से जुड़े लोग भी अब गिने चुने ही रह गए हैं। फारसी में पश्म का मतलब ऊन होता है। 14वीं शताब्दी में नेपोलियन राजा को स्थानीय कारीगरों ने पहला पश्मीना शॉल भेंट कर इस कला की शुरूआत की। 31 मार्च 2023 को लंबे अर्से के बाद बसोहली पश्मीना को जीआई टैग मिला। स्थानीय निवासी बताते हैं कि कश्मीर में बसोहली के बाद पश्मीना की शुरुआत हुई। पश्मीना ऊन सिर्फ लेह की भेड़ों से प्राप्त की जाती है। इसकी कताई और बुनाई का काम श्रीनगर और जम्मू संभाग के केवल बसोहली में होता है। बसोहली में 1827 में 173 लोग इस व्यवसाय से जुड़े थे। 1956 में पहला कताई और बुनाई केंद्र हीरानगर में खोला गया। छह वर्ष बाद इसे बसोहली स्थानांतरित कर दिया गया। शुरुआती दौर में आठ से नौ हजार कारीगर इस उद्योग से जुटे थे। वहीं इनकी संख्या काफी कम हो चुकी है।

  • बोस्टन (अमेरिका) ललित कला संग्रहालय
  • लाहौर के केंद्रीय संग्रहालय
  • नई दिल्ली, राष्ट्रीय संग्रहालय
  • जम्मू, डोगरा आर्ट संग्रहालय
  • श्रीनगर, संग्रहालय

बसोहली के रैहण इलाके जीआई टैगिंग के मानकों को परखने के लिए जांच लैब स्थापित की जा रही है। इसके तहत स्थानीय उत्पादों को यहां से मानकों की जांच के बाद जीआई टैग जारी किए जाएंगे। यह इन उत्पादों के संरक्षण और बेहतरी के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है। स्थानीय कलाकारों में जागरूकता बढ़ने के साथ कई अन्य उत्पाद भी इस श्रेणी में आ सकते हैं।