प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गांधी जयंती के दिन स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के 10 साल पूरे होने के अवसर पर राजधानी स्थित विज्ञान भवन में स्वच्छ भारत दिवस 2024 कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी स्वच्छता से संबंधित 9600 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि विकसित भारत की यात्रा में हमारा हर प्रयास ‘स्वच्छता से संपन्नता’ के मंत्र को मजबूत करेगा। गंदगी के प्रति नफरत ही हमे स्वच्छता के लिए मजबूर कर सकती है और मजबूत भी कर सकती है।
10 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स की भी शुरुआत हुई
पीएम मोदी ने कहा कि आज के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर आज स्वच्छता से जुड़े करीब 10 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स की भी शुरुआत हुई है। मिशन AMRUT के तहत देश के अनेक शहरों में वॉटर और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। नमामि गंगे से जुड़ा काम हो या फिर कचरे से बायोगैस पैदा करने वाले गोबरधन प्लांट, ये काम स्वच्छ भारत मिशन को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। स्वच्छ भारत मिशन जितना सफल होगा, उतना ही हमारा देश ज्यादा चमकेगा।
‘स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा’
उन्होंने कहा कि आज से 1 हजार साल बाद भी जब 21वीं सदी के भारत का अध्ययन होगा, तो उसमें स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा। स्वच्छ भारत मिशन इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जनभागीदारी, जन नेतृत्व वाले जन आंदोलन है। इस मिशन ने मुझे ईश्वररूपी जनता-जनार्दन की साक्षात ऊर्जा के भी दर्शन कराए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन पर कही यह बात
पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन से देश के आम जन के जीवन पर जो प्रभाव पड़ा है, वो अनमोल है। हाल ही में एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय जनरल की स्टडी आई है, इस स्टडी को अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर स्टडी किया है। इसमें सामने आया है कि स्वच्छ भारत मिशन से हर वर्ष 60 से 70 हजार बच्चों का जीवन बच रहा है।
‘स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट बनने से ड्रापआउट रेट कम हुआ’
उन्होंने कहा कि लाखों स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट बनने से ड्रापआउट रेट कम हुआ है। UNICEF की एक और स्टडी के मुताबिक, साफ-सफाई के कारण गांव के परिवार के हर साल औसतन 50 हजार रुपये बच रहे हैं। पहले आए दिन होने वाली बीमारियों के कारण ये पैसे इलाज पर खर्च होते थे, या काम धंधा न करने के कारण आय खत्म हो जाती थी, क्योंकि बीमारी के कारण लोग काम पर नहीं जा पाते थे।
‘देश में एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन भी हुआ’
पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छता की प्रतिष्ठा बढ़ने से देश में एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन भी हुआ है। पहले साफ-सफाई के काम से जुड़े लोगों को किस नजर से देखा जाता था, हम सब जानते हैं। स्वच्छ भारत मिशन ने, इस सोच को भी बदल दिया। साफ-सफाई करने वालों को मान-सम्मान मिला, तो उनको भी गर्व हुआ। विकसित भारत की यात्रा में हमारा हर प्रयास ‘स्वच्छता से संपन्नता’ के मंत्र को मजबूत करेगा।