अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में हुई सर्जरी, गंभीर बीमारी के मरीजों के लिए नई उम्मीद

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में बीते सप्ताह दो दिनों के भीतर 25 मरीजों की सर्जरी की गई। इन मरीजों को अलग-अलग तरह की बीमारियां थीं। जिनका आयुर्वेदिक प्रक्रिया के माध्यम से शल्य क्रिया कर उपचार किया गया। इस दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा कि आयुर्वेद के माध्यम से गंभीर से गंभीर बीमारियों का बेहतर इलाज संभव है। संस्थान में द्वितीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सौश्रुतम् शल्य संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से चिकित्सकों ने शिरकत की।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे एम्स भोपाल के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर संदीप कुमार ने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से गंभीर बीमारियों को भी दूर किया जा सकता है। खासतौर से जिस तरह से इस संस्थान में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से शल्य क्रिया की जा रही है, वह अपने में एक बेहतरीन पद्धति को आगे बढ़ा रही है। कार्यक्रम में मौजूद देश के नामी शिक्षकों सर्जनों ने इस कार्यक्रम में शिरकत करते हुए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से हो रहे इलाज को और बेहतर तरीके से आगे बढ़ने पर चर्चा की। एम्स नई दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने भी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में हो रही सर्जरी और मरीजों को मिल रहे लाभ के बारे में विस्तार से बातचीत की। आयुर्वेद संस्थान में सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. योगेश बडवे ने बताया कि 25 जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से मरीजों को न सिर्फ नया जीवन मिला है, बल्कि संस्थान में हो रही इस चिकित्सा पद्धति से मरीजों में भरोसा भी बढ़ा है।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. योगेश ने बताया कि प्रत्यक्ष शल्य चिकित्सा कार्यशालाओं के दौरान भगंदर (फिस्टुला-इन-एनो), अर्श (बवासीर), पिलोनिडल साइनस, पित्ताशय की पथरी, हार्निया के रोगियों पर वीएएएफटी, लेप्रोस्कोपी तथा लेजर जैसी नई तकनीकों समेत पारंपरिक शल्य विधियों का उपयोग करके ऑपरेशन किए गए। वह कहते हैं कि पिछले एक वर्ष में उनके संस्थान में शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के माध्यम से डेढ़ हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज किया गया है। इस दौरान संस्थान की निदेशक प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा कि उनके संस्थान में इस वक्त देश के अलग-अलग राज्यों से मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। मरीज के बढ़ते भरोसे के चलते ही वह नई-नई तकनीकों के माध्यम से अपने संस्थान में मरीजों का बेहतर इलाज भी कर रही हैं।

इससे पहले संस्थान में आयोजित संगोष्ठी के दौरान कई तरह के शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इस कार्यक्रम के लिए 160 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण कराया था। जिनमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से आए रेजिडेंट डॉक्टर समीर सर्जन और अलग-अलग चिकित्सा संस्थानों की फैकल्टी शामिल थी। जिसमें बनारस जयपुर दिल्ली और काठमांडू के चिकित्सकों ने शिरकत की।