केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को आणंद में ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ की आधारशिला रखी और इस मौके पर कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने ही वरिष्ठ नेता और अमूल के संस्थापक त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल को भुला दिया, जबकि उन्होंने देश में सहकारिता आंदोलन को नई दिशा दी थी।
शाह ने स्पष्ट किया कि लोकसभा में हाल ही में पेश ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025’ में यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के सम्मान में रखा गया है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “कांग्रेस भूल गई कि त्रिभुवनदास पटेल उन्हीं की पार्टी से थे, लेकिन चूंकि वे नेहरू-गांधी परिवार से नहीं थे, इसलिए उन्हें भुला दिया गया।”
अमूल और सहकारिता में त्रिभुवनदास पटेल का योगदान
अमित शाह ने कहा कि त्रिभुवनदास पटेल ने सरदार पटेल के मार्गदर्शन में अमूल की स्थापना की और वर्गीज कुरियन को डेयरी साइंस पढ़ने के लिए विदेश भेजा। उन्होंने बताया कि पटेल ने अमूल से सेवानिवृत्ति के समय अपनी संपूर्ण ग्रेच्युटी—6 लाख रुपये—फाउंडेशन को दान कर दी, जो उनके समर्पण का प्रतीक है। शाह ने कुरियन के योगदान को भी सराहा, लेकिन ज़ोर दिया कि इसकी नींव त्रिभुवनदास के विज़न से रखी गई थी।
यूनिवर्सिटी का उद्देश्य और व्यापक प्रभाव
शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र को पेशेवर प्रशिक्षण और शोध के ज़रिये नई दिशा देगी। इसमें प्रबंधन, वित्त, कानून, और ग्रामीण विकास से जुड़े कोर्स कराए जाएंगे। 200 से अधिक सहकारी संस्थाएं इससे जुड़ेंगी और यह यूनिवर्सिटी 40 लाख सहकारी कर्मियों को प्रशिक्षित करेगी, जिससे भाई-भतीजावाद को समाप्त करने में मदद मिलेगी।
मोदी सरकार की सहकारिता के क्षेत्र में पहल
शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन कर 60 से ज्यादा नई पहलें शुरू की हैं। इनमें किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण विकास को गति देने और 2 लाख नई प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (PACS) बनाने की योजनाएँ शामिल हैं। साथ ही, CBSE पाठ्यक्रम में कक्षा 9 से 12 तक सहकारिता विषय को शामिल किया गया है।
अमूल: आत्मनिर्भर भारत की मिसाल
अमित शाह ने कहा कि अमूल आज 80,000 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर के साथ देश का सबसे मूल्यवान ब्रांड बन गया है, जो 36 लाख ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गुजरात सरकार और अमूल ने वर्गीज कुरियन की जन्मशताब्दी मनाई, लेकिन कांग्रेस ने इसे भी नजरअंदाज कर दिया।
अंत में शाह ने कहा, “त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि सहकारिता आंदोलन के जननायकों को सच्ची श्रद्धांजलि है, जो ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी।”