आईटीआई चौक स्थित वीके न्यूरोकेयर एंड ट्रामा रिसर्च अस्पताल में रविवार शाम को बड़ा हादसा हो गया। यहां एयर कंडिशनर बॉक्स में ब्लास्ट के बाद आग लग गई। इसके बाद पूरे अस्पताल में धुआं फैल गया। परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बना तो इमरजेंसी में अस्पताल में दाखिल गंभीर हालत वाले मरीजों को रेस्क्यू कर दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा। गंभीर हालत वाले 18 मरीजों को शिफ्ट करने में सबसे अधिक भागदौड़ करनी पड़ी। इससे उनकी स्वास्थ्य सेवा भी प्रभावित हुई। एक महिला मरीज जींद के गांव रेवर की मंजीत कौर की शिफ्टिंग के बाद दूसरे निजी अस्पताल में मौत हो गई। उन्हें एक सड़क हादसे में घायल होने पर सुबह ही वीके न्यूरो केयर एंड ट्रामा रिसर्च अस्पताल में दाखिल कराया गया था। जिस समय घटना हुई तब प्रथम व द्वितीय तल पर आईसीयू व जनरल वार्ड में 18 मरीज भर्ती थे। मौके पर मौजूद स्टाफ कर्मियों, सिक्योरिटी गार्ड ने सबसे पहले मरीजों को अस्पताल से बाहर निकालकर शिफ्ट करना शुरू कर दिया।
पुलिस व रेहड़ी वालों ने भी किया सहयोग
डायल 112 व अर्बन एस्टेट थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। अस्पताल के बाहर रेहड़ी लगाने वालों ने भी मरीजों को बाहर निकालने में सहयोग किया। पुलिस व अन्य ने अस्पताल के स्टाफ कर्मियों के साथ मिलकर मरीजों को एंबुलेंस बुलाकर नजदीकि जिंदल अस्पताल व अन्य अस्पतालों में भर्ती करवा दिया। आग से कोई जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ। अस्पताल के स्टाफ कर्मियों के अनुसार सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस दौरान डीएसपी संजीव कुमार, अर्बन एस्टेट थाना प्रभारी इंस्पेक्टर साधुराम टीम सहित पहुंचे थे। मौके पर पूर्व पार्षद जगमोहन मित्तल और हिसार संघर्ष समिति से जितेंद्र श्योराण मौके पर पहुंचे। इन दोनों ने भी मरीजों को शिफ्ट करवाने में काफी मदद की। इसके बाद अस्पतालों में जाकर मरीजों के हालचाल बारे भी जानकारी ली।
अग्निशमन यंत्र नहीं चले
गांव लेघां के रमेश ने बताया कि मेरी कमर की नसों में समस्या थी। 11 दिन से यहां भर्ती था। प्रथम तल पर रूम नंबर 101 में था। अचानक धमाका हुआ था, इसके बाद धुआं फैल गया था। स्टाफ ने आग बुझाने का प्रयास किया, इस दौरान कुछ अग्निशमन यंत्र भी नहीं चले। मुझे व्हीलचेयर से नीचे लाए, इसके बाद एंबुलेंस से जिंदल अस्पताल में लाया गया।
सबसे पहले मरीजों को किया शिफ्ट
अस्पताल में उस समय 18 मरीज थे। एसी में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। दो सिक्योरिटी गार्ड समेत अस्पताल में 40 के करीब स्टाफ था। आग लगने पर चारों ओर धुआं फैल गया था। सभी ने मिलकर सबसे पहले मरीजों को बाहर निकालकर शिफ्ट किया। आग पर काबू पाने के लिए चार-पांच अग्निशमन यंत्रों से आग बुझा़ने का प्रयास किया था। बाद में फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने आग पर काबू पाया।
दो सिक्योरिटी गार्ड व अन्य स्टाफ ने कई मरीजों को निकाला बाहर
अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड आजाद नगर के दीपक व तोशाम के प्रवीन ने मरीजों को बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई, इनके चेहरे व कपड़े भी धुएं से काले पड़ गए थे। लेकिन इन्होंने हिम्मत से काम लेते हुए एक-एक कर सभी मरीजों को बाहर निकाल लिया। दोनों ने बताया कि जोर से धमाका हुआ था। वहां गए तो बहुत धुआं था, पहले तो कुछ सोच नहीं पाए। इसके बाद मरीजों को बाहर निकालना शुरू कर दिया था।
अस्पताल में लगी आग – सुविधा स्टोर के कर्मी ने फायर ब्रिगेड को सूचना
सुविधा स्टोर पर काम करने वाले हेमंत ने बताया कि उसकी पत्नी शिवाली वीके न्यूरो केयर अस्पताल में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। आग लगने पर उसकी पत्नी ने सूचना दी थी, जिसके बाद उसने फायर ब्रिगेड को फोन किया था।
हिसार संघर्ष समिति के जितेंद्र श्योराण ने बताया कि अस्पतालों, पीजी, स्कूलों को चेक करवाना चाहिए, आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं है तो कार्रवाई की जानी चाहिए।