आई फ्लू को कंजंक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें आंख की परत, जिसे कंजंक्टिवा कहा जाता है, में सूजन होती है। कंजंक्टिवा एक पतली पारदर्शी परत होती है, जो आंख की सामने की सतह और पलकों के अंदर की रेखा को कवर करती है।
आई फ्लू के विभिन्न प्रकार हैं:
- वायरल कंजंक्टिवाइटिस: यह सबसे अधिक प्रचलित और वायरल संक्रामक के कारण होता है। यह आम तौर पर सर्दी के वायरसों के कारण होता है और आंखों के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है।
- बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस: यह बैक्टीरियल संक्रामक के कारण होता है और आंखों के चारों ओर रेडनेस, सूजन, चिपचिपा या मवाद जैसा डिस्चार्ज हो सकता है। यह बहुत संक्रामक भी हो सकता है।
- एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस: इस प्रकार का कंजंक्टिवाइटिस अलर्जी के कारण होता है, जिसमें परागकण, पालतू जानवरों की रूसी, धूल के कण या कुछ रसायनों सहित अन्य एलर्जी आई फ्लू के कारण बन सकती है।
- केमिकल कंजंक्टिवाइटिस: यह कंजंक्टिवाइटिस धुएं, एसिड या अल्कलाइन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के बाद विकसित होता है। इसके परिणामस्वरूप आंखों में गंभीर खुजली, रेडनेस और ब्लर विजन हो सकती है।
कुछ सावधानियों का पालन करना मददगार साबित हो सकता है:
- हाथों को साबुन से धोकर आंखों को छूने से पहले और बाद में साबुन से धोना अच्छा होता है।
- संक्रमण का प्रसार रोजमर्रा के व्यक्तिगत सामग्री के माध्यम से हो सकता है, इसलिए आंखों के सामने या पलकों के अंदर छाने वाले चीजों को सामने वालों के साथ शेयर न करें।
- आंखों को हाथों से स्पर्श न करें और अन्य संपर्क जैसे कीबोर्ड, माउस, फोन आदि को भी साफ रखें।
- आंखों को धुलवाने के लिए सबुत ही नहीं, गरम पानी से गिलास या आंखों के लिए बनाए गए विशेष उपायों का इस्तेमाल करें।
- संक्रमण से बचने के लिए विशेष ध्यान देने वाले भोजन का सेवन करें जो अधिक विटामिन सी, विटामिन ए और जिंक का स्रोत हों।
- अपने स्वच्छता और साफ-सफाई का ध्यान रखें, और अन्य लोगों के साथ संपर्क करते समय हाथों को साबुन से धोते रहें।
इन सावधानियों का पालन करने से आप आई फ्लू जैसे संक्रमण से बच सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं। सावधानी बरतने से इस संक्रमण का प्रसार रोका जा सकता है और अन्य लोगों को भी यह बीमारी नहीं फैलेगी।
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