आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खबर यह है कि भारतीय रेलवे के इंजीनियरों ने 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल सेक्शन पर टनल नंबर एक के निर्माण को पूरा करने के लिए नई विधि विकसित की है। जानकारी के अनुसार कटड़ा-रियासी खंड में त्रिकुटा पहाड़ियों की तलहटी में 3.2 किलोमीटर लंबी ‘सिंगल ट्यूब’ सुरंग को परियोजना का सबसे कठिन खंड बताया गया है।
बताया यह जा रहा है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में कहा था कि हमने हिमालयी भूविज्ञान के माध्यम से सुरंग बनाने के लिए नई विधि (आई)-टीएम विकसित की है। नई सुरंग बनाने की विधि के बारे में वरिष्ठ रेलवे इंजीनियर ने कहा कि सुरंग की खोदाई के दौरान पानी, पत्थर व मलबे के प्रवाह की स्थिति से निपटने के लिए पूर्व-खोदाई सहायता उपाय प्रदान करना शामिल है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया था कि रेलवे इंजीनियर, जो परियोजना के निर्माण में शामिल रहे हैं, उन्होंने न्यू आस्ट्रियाई टनलिंग विधि में उपयोग की जाने वाली जाली गर्डर विधि के विपरीत आईएसएचबी का उपयोग करके कठोर समर्थन प्रदान करने का फैसला लिया है। पहाड़ों में नौ मीटर पाइप डाली जो पानी के रिसाव को सुनिश्चित करेगी, जिसके साथ डंडों का उपयोग करके छाता बनाया और उन्हें पीयू ग्राउट से भर दिया।
बता दें कि रेल मंत्री के बयान के अनुसार, यह एक ऐसा रसायन है जो मिट्टी में मिलकर उसकी मात्रा तीन गुना बढ़ा देता है। मिट्टी को चट्टान की तरह ठोस बना देता है। इसकी स्थिरता के लिए परीक्षण किया जाता है और फिर खोदाई को थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ाते हैं। कठिन इलाके के कारण काम धीमा हो गया है। अगर किसी अन्य देश में इन स्थितियों का सामना करना पड़ा होता, तो उन्होंने साइट छोड़ दी होती। रेलवे ने आगे बढ़ने का फैसला किया और सुरंग बनाने की नई विधि अपनाई।
इससे पहले महत्वपूर्ण सुरंग पर 2017 से तीन साल से अधिक समय तक काम रुका हुआ था और इंजीनियरों की अब इसे अगले साल की शुरुआत तक पूरा करने की योजना है। गौरतलब है कि 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में मुख्य रूप से सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही इस सेक्शन में 27 मुख्य सुरंगें (97 किमी) और आठ एस्केप सुरंगें (67 किमी) हैं। इस में 37 पुल हैं, जिनमें से 26 बड़े और 11 छोटे शामिल है।