ई-सूचना, जीरो FIR.. पांच साल में दूसरा बड़ा कानूनी बदलाव; पढ़ें J&K में क्या-क्या बदलेगा

जम्मू-कश्मीर पांच वर्षों में दूसरे बड़े कानूनी बदलाव के लिए तैयार है। 31 अक्तूबर 2019 को रणबीर पैनल कोड (आरपीसी) की जगह इंडिया पैनल कोड (आईपीसी) ने ली थी। अब एक जुलाई से आईपीसी की जगह तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने जा रहे हैं, जिसके तहत सभी आपराधिक मामले दर्ज होंगे।

जीरो एफआईआर

जीरो एफआईआर में गंभीर अपराध के मामले में पीड़ित किसी भी थाने में शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। जांच के लिए संबंधित थाना एफआईआर को उसके क्षेत्र अधिकार में स्थानांतरित करेगा। इससे पीड़ित को शिकायत दर्ज करवाने के लिए एक से दूसरे पुलिस थाने में भटकना नहीं पड़ेगा। 
हालांकि अगर जीरो एफआईआर ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी। 

ई-सूचना से भी दर्ज हो सकेगी एफआईआर

अब ई-सूचना से भी एफआईआर दर्ज हो पाएगी। धारा 173 गंभीर मामलों में एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज करवाई जा सकती है। 

2019 में राजस्व कानूनों में भी हुआ था बदलाव

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में ब्रिटिश काल से लागू भूमि अधिग्रहण और स्वामिता कानूनों में बदलाव किया गया था। केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को प्रभावी बनाया गया। इसमें ग्राम सभाओं को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं।

महिलाओं से जुड़े अपराधों में पहले से ज्यादा सजा का प्रावधान

दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म सहित अन्य गंभीर अपराधों की जांच का जिम्मा महिला इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के पास होगा। एफआईआर लिखने से लेकर बयान तक की वीडियोग्राफी होगी। पीड़िता को जहां सुविधाजनक होगा, वहां बयान दर्ज हो सकेगा। नए आपराधिक कानूनों में महिलाओं-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को भारतीय न्याय संहिता की शुरुआती धाराओं में रखा गया है। अब 36 से लेकर 99 तक की कुल 36 धाराएं इन अपराधों से जुड़ी होंगी।