लोकसभा चुनाव के रुझानों में एनडीए को झटका लगा है और चार सौ पार का नारा देने वाला एनडीए 300 पार के लिए तरस गया है। अभी तक के रुझानों से स्पष्ट है कि देश में गठबंधन की सरकार बनेगी। भाजपा को उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे राज्यों में काफी नुकसान झेलना पड़ा, साथ ही महाराष्ट्र में भी विपक्षी गठबंधन का प्रदर्शन शानदार रहा है। हालांकि भाजपा को ओडिशा, तेलंगाना जैसे राज्यों में फायदा हुआ है, लेकिन ये फायदा नुकसान की भरपाई करने के लिए नाकाफी साबित हुआ।
अब्दुल रशीद शेख से मुकाबला मुश्किल रहा’
JKNC उपाध्यक्ष और बारामु्ला लोकसभा सीट से उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने हार के बाद कहा, ‘जहां तक मेरे अपने सीट की बात है तो मैं ऐसे आपसे बात नहीं करना चाहता था… बारामुला के लोगों ने जो फैसला सुनाया है वह हमारे सिर-आंखों पर, मैं जानता था कि यह मुकाबला मुश्किल होगा। अब्दुल रशीद शेख जब मैदान में उतरे तो उनके खिलाफ मुकाबला करना थोड़ा मुश्किल रहा। चुनाव में हार जीत होती है।’
सपा को वो वोट मिला, जो 20-25 वर्षों से नहीं मिला
फिरोजाबाद लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अक्षय यादव ने कहा, ‘मैं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मुझपर भरोसा जताया। मैं फिरोज़ाबाद की जनता का भी धन्यवाद करता हूं… हम पहले दिन से कह रहे थे कि समाजवादी पार्टी को इस बार वह वोट मिल रहा है जो 20-25 सालों में नहीं मिला और उसी की वजह से आज उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटें समाजवादी पार्टी-INDIA गठबंधन को मिल रही है।
झारखंड में भाजपा आठ सीटों पर आगे
झारखंड में भाजपा 8 सीटों पर आगे है। वहीं झामुमो तीन सीटों पर आगे है। कांग्रेस दो सीटों पर आगे चल रही है।
हमने बहुत मेहनत की, लेकिन नतीजे निराशाजनक’
तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘देखिए, यह निश्चित रूप से निराशाजनक है, क्योंकि हमने बहुत मेहनत की है। हमने बहुत सकारात्मक अभियान चलाया। हमने लोगों के सामने आने वाले वास्तविक मुद्दों पर बात की। हम अपने प्रतिद्वंद्वियों की तरह विभाजन या झूठ के प्रलोभन में नहीं पड़े लेकिन, परिणाम यह है कि तिरुवनंतपुरम के 3.4 लाख लोगों ने हमारा समर्थन किया। हमें इतने वोट पहले कभी नहीं मिले और इस बार भाजपा को 35.7% वोट शेयर मिलें, जो फिर से रिकॉर्ड वोट शेयर हैं। इसलिए मेरा मानना है कि हम सही रास्ते पर हैं। हां, मैं निराश हूं कि मैं जीत नहीं सका। हां, मैं निराश हूं कितिरुवनंतपुरम के अधिकांश लोगों ने मेरी उम्मीदवारी का समर्थन नहीं किया लेकिन चुनावी राजनीति की यही प्रकृति है और मुझे इसमें बहुत अधिक निराशा नहीं दिखती… हमने बहुत मेहनत की… हम निश्चित रूप से इसका विश्लेषण करेंगे और पता लगाएंगे।’