भागदौड़ भरी इस जिंदगी में कई लोगों के सोने और जागने का शेड्यूल बिगड़ चुका है। रात में वक्त पर बिस्तर पकड़ लेना भले ही मुमकिन न हो सके, लेकिन सुबह समय पर उठना हर किसी की मजबूरी होता है। ऐसे में, अगर आपको भी इसके लिए एक से ज्यादा अलार्म लगाने पड़ते हैं, तो अब सावधान हो जाने की जरूरत है! दरअसल, डॉक्टर्स बताते हैं कि आपके दिमाग के लिए इस तरह की आदत बिल्कुल भी अच्छी नहीं है।
सुबह उठने के लिए लगाते हैं 3-4 अलार्म?
क्या आपको भी सुबह उठने के लिए 8-10 मिनट के गैप पर 3 से 4 अलार्म लगाने की आदत है? अगर हां, तो बता दें कि अमेरिका के न्यूरोलॉजिस्ट बैंडन पीटर्स के मुताबिक कई अलार्म लगाकर उठना और दोबारा झपकी लेना भले ही आपको अच्छा लगता हो, लेकिन नींद की गुणवत्ता खराब करने से लेकर दिमाग को कमजोर करने तक यह काफी नुकसानदायक हैबिट साबित हो सकती है।
एक से ज्यादा अलार्म क्यों है चिंता की बात?
आमतौर पर लोग नींद के आखिरी घंटों में स्लीप साइकल के चौथे और आखिरी चरण में होते हैं, जिसे रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) स्लीप के रूप में जाना जाता है। नींद में आरईएम याददाश्त और क्रिएटिविटी के लिए जरूरी होता है, लेकिन एक से ज्यादा अलार्म के कारण नींद के इस चरण में खलल पड़ने से दिमाग की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। पीटर्स कहते हैं, कि इसलिए एक अलार्म लगाना चाहिए, जिससे जागने तक गहरी नींद बिना रुकावट जारी रहे।
जागने के लिए एक अलार्म है बेस्ट
स्लीपिंग डिसऑर्डर की विशेषज्ञ एलिशिया रॉथ बताती हैं, कि जागने के लिए एक अलार्म ही सबसे अच्छा रहता है। हालांकि, कुछ लोगों के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में इस तरह की अलार्म घड़ी का इस्तेमाल करें जिसे बंद करने के लिए बिस्तर से बाहर निकलना पड़े। साथ ही, अपनी सोने की आदतों को मॉनिटर करें। एक ही वक्त सोना और जागना काफी मददगार साबित हो सकता है।
नींद से बाहर निकलना हो जाता है मुश्किल
नींद से जुड़े डिसऑर्डर के कारण कुछ लोगों को जागने के लिए एक से ज्यादा अलार्म की जरूरत पड़ती है। इन विकारों में जागते समय स्लो रिस्पांस, अस्थायी तौर पर कम याददाश्त और सोचने की क्षमता और मनोदशा में गिरावट शामिल है, जिससे नींद से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अलार्म बजने पर उसे बंद करने के लिए जागता तो है, लेकिन दोबारा सो जाता है।