दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग का सरनल इलाका, दुकान के बाहर खड़े मलिक साबिर मतदाता जागरूकता रैली को देख उत्साहित हैं। हर बार चुनाव बहिष्कार के फरमान और आतंकी धमकियों के कारण उन्हें हर बार घरों में रहना पड़ता था, मतदान के दिन तो पूरा सन्नाटा पसर जाता था। इस बार माहौल बदला है। बहिष्कार के बजाय वोट डालने के लिए प्रेरित करने की रैलियां निकल रही हैं। वह कह उठते हैं कि यकीन नहीं यह वही दक्षिण कश्मीर है। हम भी सात मई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
वहां से करीब 80 किलोमीटर दूर श्रीनगर के जेनदार मोहल्ला के मोहम्मद अयूब की कहानी भी इससे जुदा नहीं है। 60 वर्षीय अयूब को लगता है कि पुराने दिन लौट आए हैं। कहते हैं 1983 में पहली बार वोट डाला था। इसके बाद हड़ताल और बंद के फरमान ही सुनने को मिलते थे। हां, अब हालात फिर बदले दिख रहे हैं। अनुच्छेद 370 क्या हटा, अब कश्मीर का माहौल बदल गया है।
चुनावी रैलियों में दिख रहा जोश
मतदान से पूर्व ही चुनावी रैलियों का जोश दिख ही रहा है, प्रशासन भी स्थानीय लोगों की मदद से शहर-शहर लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है। श्रीनगर का लाल चौक हो या दक्षिण कश्मीर के चौराहें व गलियां, हर ओर मतदान के लिए गूंज सुनाई दे रही है। मतदाता जागरूकता अभियान में उमड़ रही भीड़ मतदाताओं के उत्साह को प्रदर्शित कर रही है।
कब-कब होना है मतदान
बता दें कि कश्मीर व जम्मू संभाग में बंटी अनंतनाग-राजौरी सीट पर सात मई, श्रीनगर सीट पर 13 मई और बारामुला सीट पर 20 मई को मतदान होना है। अनंतनाग-राजौरी और श्रीनगर सीट के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। ऐसे में राजनीतिक दलों की रैलियां भी तेज गई हैं। इन सभाओं में उमड़ रही भीड़ लोगों के उत्साह की गवाही दे रही है।