हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा में होती आई भिड़ंत के कुछ इस तरह के हैं रिकार्ड

हरियाणा में साल 1999 से लेकर 2019 तक हुए पिछले पांच लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के मत प्रतिशत में ना केवल उतार-चढ़ाव आता रहा, बल्कि मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारों में ही रहा।

साल 1999 के चुनाव में शानदार परफॉरमेंस के बाद भाजपा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार अपने मत प्रतिशत में बढ़ोतरी की, लेकिन लोकसभा सीटों की संख्या के हिसाब से साल 2004 और 2009 में कांग्रेस ने भाजपा पर शानदार बढ़त बनाए रखी।

साल 2019 में भाजपा ने कांग्रेस के इस चक्र को तोड़ते हुए पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए और 10 लोकसभा सीटें जीतते हुए 58.2 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। अभी तक प्रदेश में भाजपा का यह रिकार्ड नहीं टूटा है। चार जून को पूरे देश में मतगणना होने वाली है। भाजपा को जहां अपना स्वयं का रिकार्ड टूटने की उम्मीद है, वहीं कांग्रेस को अपने पक्ष में आश्चर्यजनक चुनाव नतीजे आने की आस बंधी हुई है।

पांच लोकसभा चुनाव का परिणाम

इन चुनाव नतीजों से पहले आइए जानते हैं पिछले पांच लोकसभा चुनाव का रिजल्ट और मत प्रतिशत कैसा रहा। सबसे पहले साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव की बात करते हैं, जब राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर 63.7 प्रतिशत मतदान हुआ है। उस समय 29.2 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा ने पांच लोकसभा सीटें जीती थी और इनेलो ने भी पांच लोकसभा सीटें जीतते हुए 28.7 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे।

कांग्रेस हालांकि तब कोई लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी, मगर उसका मत प्रतिशत इन दोनों दलों से ज्यादा था, जिसने 34.9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सोनीपत लोकसभा सीट से तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार किशन सिंह सांगवान ने सबसे अधिक 2 लाख 66 हजार 138 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो कि 40.4 प्रतिशत मत थे। फरीदाबाद से भाजपा के ही रामचंद्र बैंदा ने सबसे कम 34 हजार 248 मतों के अंतर से जीत प्राप्त की थी, जो मात्र 4.5 प्रतिशत थे।

2004 में कांग्रेस ने जीती थीं नौ सीटें

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 65.5 प्रतिशत वोटिंग के बीच कांग्रेस ने नौ लोकसभा सीटें जीती थी और उस समय 42 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे, जबकि भाजपा को मात्र एक सीट मिली थी, लेकिन उसके मतों का प्रतिशत 17.2 था।

उस समय अंबाला लोकसभा सीट से कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने 2 लाख 34 हजार 935 मतों के अंतर से सबसे बड़ी जीत हासिल की थी, जो कि 27.7 प्रतिशत वोट थे। इसी चुनाव में सोनीपत से भाजपा के किशन सिंह सांगवान ने 7569 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो कि सबसे कम थी व जिसका प्रतिशत सिर्फ 1 पर सिमट गया था।

राज्य में उपचुनाव भी हुआ था, जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक लोकसभा सीट के उपचुनाव में सांसद चुने गए थे।

2009 में भाजपा को नहीं मिली थी कोई सीट

साल 2009 के लोकसभा चुनाव काफी रोचक थे, जब 67.5 प्रतिशत वोट पड़े थे। उस समय कांग्रेस ने 41.9 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए नौ लोकसभा सीटें जीती थी और हजकां (बीएल) को एक सीट प्राप्त हुई थी, जिसे 10 प्रतिशत वोट मिले थे। उस समय भाजपा को कोई सीट नहीं मिली थी, लेकिन एनडीए के नाते उसे 27.9 प्रतिशत वोट मिले थे। यह वो दौर था, जब कांग्रेस टूट का शिकार हो गई थी और भजनलाल व उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस हाईकमान से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्य का मुखयमंत्री बनाने से नाराज हो गए थे।

तब भजनलाल ने अपने दल हजकां से हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। बाद में उनका निधन हो गया तो उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई उपचुनाव में हिसार से सांसद बने थे। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने 4 लाख 45 हजार 736 मतों के अंतर से सबसे बड़ी जीत हासिल की थी और उनकी जीत का अंतर 53.3 प्रतिशत था।

सोनीपत लोकसभा सीट से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह मलिक ने 1 लाख 61 हजार 284 मतों के अंतर से दूसरी सबसे बड़ी जीत हासिल की थी और उनकी जीत का मार्जन 22.6 प्रतिशत था। इसी चुनाव में हिसार से चौधरी भजनलाल सबसे कम 6983 मतों के सबसे कम अंतर से चुनाव जीत पाए थे, जिनकी जीत का मत प्रतिशत अंतर 0.8 था।

2014 में यह रही थी स्थिति

2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में मोदी लहर का असर दिखाई देने लगा था। तब राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर 71.4 प्रतिशत वोट पड़े थे और भाजपा ने सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए 34.8 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे, इनेलो को दो सीटें मिली थी और उसने 24.4 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। उस समय कांग्रेस को सिर्फ एक लोकसभा सीट पर जीत मिली थी व कांग्रेस राज्य में 23 % वोट प्राप्त करने में कामयाब हो गई थी।

साल 2019 में चला मोदी का जादू

2019 के लोस चुनाव में भाजपा की तूती जमकर बोली और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर पूरी तरह से दिखाई पड़ा। उस समय प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर 74.3 प्रतिशत वोट पड़े थे और भाजपा ने सभी सीटें जीतते हुए अब तक के सबसे ज्यादा 58.2 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।

कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती थी, मगर उसे तब 28.5 प्रतिशत वोट मिल गए थे। इस चुनाव में भाजपा के करनाल से संजय भाटिया ने देश की तीसरी और भाजपा के ही कृष्णपाल गुर्जर ने फरीदाबाद से देश की सबसे बड़ी चौथी जीत हासिल की थी। तब भाटिया ने 6.56 लाख और गुर्जर ने 6.38 लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो कि 50.4 % और 48 प्रतिशत मत थे। इसी चुनाव में भाजपा के डा. अरविंद शर्मा ने रोहतक में 7503 मत यानी सबसे कम 0.6 प्रतिशत के अंतर से जीत हासिल की थी।