आर्थिक हालत मजबूत करने के लिए किसानों को परपंरागत खेती से बाहर निकलना होगा। यह बात सभी कहते हैं। इसका अनुसरण कुछ किसान ही करते हैं। ऐसे ही किसान हैं पांसरा गांव के अमरजीत कांबोज। उन्होंने घास की खेती से खुशहाली का रास्ता निकाला।
पहले वह गन्ने व धान की खेती करते थे और इससे किसी तरह गुजर बसर हो रहा था। कांबोज ने खोजबीन करने के बाद लॉन घास की खेती शुरू की। उनके दिन बदल गए। जैसे समृद्धि के द्वार खुल गए। खुद के हालात तो बदले ही, अब 15 से 20 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
उनके पास हरियाणा के विभिन्न स्थानों के साथ दूसरे राज्यों से भी ऑर्डर आ रहे हैं। इसके अलावा वह इस घास की दिल्ली और मुंबई के साथ-साथ कई मेट्रो सिटी में सप्लाई करते हैं।
दोस्त ने दिया आइडिया, खुद की खोजबीन
कांबोज ने बताया कि उनके पास चार एकड़ जमीन है। वह पहले गन्ने, धान व गेहूं की खेती करते थे। किसी तरह से परिवार का गुजारा चल पाता था। परिवार की पूरी करने के लिए वर्कशॉप का काम भी किया गया, लेकिन इस काम में आमदनी कम और खेती के लिए समय नहीं मिलता था।
उन्होंने कहा कि उनकी उम्र बढ़ती जा रही थी। वह आराम का काम करना चाहते थे। इसी दौरान उनके दोस्त ने लॉन घास की खेती के बारे में सुझाव दिया। इस खेती के बारे में इंटरनेट मीडिया पर पड़ताल की।
दिल्ली के कंझावला गए। वहां से इस खेती के बारे में जानकारी हासिल की। उसके बाद इस फसल के बाजार के बारे में पता किया। इसकी मांग बढ़ाने की दिशा में भी पड़ताल की।
चार तरह के लॉन घास कर रहे तैयार
अमरजीत ने बताया कि काफी तरह के लॉन घास हैं। उनके पास चार प्रकार के लॉन घास जैसे नीलगिरी, सलेक्स, कोरियन, बरमुडा खेत में हैं। इनकी कीमत पांच रुपये से 25 रुपये स्क्वायर फीट तक है। सभी लॉन घास की अच्छी मांग है। मेट्रो सिटी से उनके पास ज्यादा ऑर्डर आ रहे हैं।
नीलगिरी व कोरियन की विशेष खासियत है। यह गद्देदार होती है, जिस पर चलने व बैठने में आनंद आता है। इस कारण इस लॉन घास की कीमत अधिक होती हैं। सलेक्स व बरमुडा लॉन घास हरियाली के लिए होती है। इसको पार्टी लॉन के लिए तैयार किया जाता है।
पहले साल हुआ था नुकसान
कांबोज को अनुभव न होने के कारण पहले साल लॉन घास में काफी नुकसान हुआ। वर्षा से जलभराव होने के कारण घास खराब हो गई। वह दिल्ली से घास लेकर आए थे। दूसरे साल में फसल के बारे में जानकारी होने पर उनको आय होने लगी।