‘किन्नरों की संख्या कितनी…’, जम्मू-कश्मीर HC ने पूछा- सरकार बताए रोहिंग्याओं को निकालने के लिए क्या उठाए गए कदम

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और जस्टिस एमए चौधरी ने मंगलवार को प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि वह जानकारी दे कि जम्मू-कश्मीर में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों को निकालने के लिए केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।

इसके साथ हाई कोर्ट (Jammu Kashmir High Court) को यह भी बताया जाए कि रोहिंग्या को उनके देश वापस भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले की क्या स्थिति है। चीफ जस्टिस ने यह निर्देश जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील को दिए। बता दें कि वरिष्ठ वकील हुनर गुप्ता ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या नागरिकों को किस प्रकार साजिश के तहत बसाया गया है, उसकी किसी पूर्व जज से जांच करवाई जाए।

इसके अलावा इस याचिका में उन्होंने अवैध तरीके से रहे रहे रोहिंग्या नागरिकों को प्रदेश से बाहर भेजने की भी मांग की है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों के लिए प्रदेश में कोई भी रिफ्यूजी कैंप नहीं है। इसके अलावा अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों को प्रदेश सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं को भी बंद करने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार की माने तो यहां 13,400 म्यांमार और बांग्लादेशी अवैध तौर से रह रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या कई अधिक है। मुस्लिम देशों जिनमें बांग्लादेश, थाइलैंड और पाकिस्तान ने भी इन रोहिंग्या नागरिकों को शरण नहीं दी है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किन्नरों की सही संख्या का पता लगाने के आदेश हाई कोर्ट ने जारी किए हैं। यह आदेश हाई कोर्ट ने दोनों प्रदेशों में रह रहे किन्नरों को उनके संवैधानिक अधिकारी व कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने को लेकर दायर याचिका पर जारी किए हैं।

चीफ जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और जस्टिस एमए चौधरी की अध्यक्षता में गठित बेंच ने दोनों प्रदेशों की सरकारों को इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया है।