किश्तवाड़ बादल फटने की त्रासदी : पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजा, राहत और पुनर्वास के निर्देश

किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर | 16 अगस्त
किश्तवाड़ ज़िले के छोसिटी क्षेत्र में बादल फटने से मची तबाही में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। इस दुखद घटना के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पीड़ित परिवारों के लिए तत्काल राहत पैकेज की घोषणा की और प्रभावित इलाकों का दौरा किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये और सामान्य घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। उन्होंने प्रशासन और राहत एजेंसियों को निर्देश दिया कि राहत व पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर चलाए जाएं और किसी भी परिवार को मदद से वंचित न रखा जाए।

प्रभावित क्षेत्र का दौरा

उमर अब्दुल्ला वरिष्ठ अधिकारियों और प्रशासनिक टीम के साथ घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की, नुकसान का जायज़ा लिया और लोगों की समस्याएं सुनीं। मुख्यमंत्री ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इस मुश्किल घड़ी में पीड़ितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

राहत और पुनर्वास पर ज़ोर

बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सड़क संपर्क और संचार व्यवस्था को शीघ्र बहाल किया जाए, ताकि राहत सामग्री हर गाँव तक पहुँच सके। साथ ही, बिजली-पानी की आपूर्ति बहाल करने और अस्थायी राहत शिविरों में खाद्य सामग्री, पीने का पानी और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देने को कहा गया।

स्वास्थ्य विभाग को आपातकालीन मेडिकल कैंप लगाने और डॉक्टरों को मौके पर तैनात रहने के निर्देश दिए गए। गंभीर रूप से घायलों को हेलिकॉप्टर की मदद से जम्मू के अस्पतालों में भेजा जा रहा है।

सेना और स्थानीय लोगों की मदद

एनडीआरएफ, पुलिस और जिला प्रशासन की टीमों के साथ-साथ सेना और अर्धसैनिक बल भी राहत व बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। स्थानीय स्वयंसेवी संगठन और ग्रामीण भी मलबा हटाने और ज़रूरतमंदों तक राशन पहुँचाने में प्रशासन का साथ दे रहे हैं।

भविष्य की रणनीति

मुख्यमंत्री ने माना कि पहाड़ी ज़िलों किश्तवाड़, डोडा और रामबन में अक्सर ऐसी आपदाएँ आती हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण, सुरक्षा बंधों का निर्माण और बेहतर आपदा प्रबंधन ढाँचा विकसित कर इन घटनाओं के नुकसान को कम किया जा सकता है।

दुख और एकजुटता

इस त्रासदी ने किश्तवाड़ के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। कई परिवार अपने प्रियजनों को खो चुके हैं जबकि कुछ अब भी लापता हैं। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने पीड़ितों के प्रति एकजुटता जताई है और सरकार से विशेष पुनर्वास पैकेज की मांग की है।

पर्यावरणीय चेतावनी

विशेषज्ञ मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों की नाजुक पारिस्थितिकी के कारण बादल फटना और अचानक बाढ़ जैसी घटनाएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। किश्तवाड़ की यह त्रासदी एक बार फिर से इस क्षेत्र में मजबूत आपदा-तैयारी तंत्र की आवश्यकता को सामने लाती है।