कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ऐलान: अब सप्ताह में दो दिन किसानों से मिलेंगे, बोले- खेतों में जाकर ही बनेगी सही योजना

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की रिपोर्ट पेश करते हुए खेती के क्षेत्र में केंद्र सरकार की नई रणनीति और संकल्पों की जानकारी दी। उन्होंने ऐलान किया कि अब वे स्वयं हर हफ्ते दो दिन खेतों में जाएंगे और सीधे किसानों से संवाद करेंगे।

वैज्ञानिकों को भी दी गई अहम जिम्मेदारी
उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों को भी निर्देश दिए हैं कि वे सप्ताह में कम से कम तीन दिन किसानों के बीच जाकर काम करें। पहले यह सीमा दो दिन थी, जिसे बढ़ा दिया गया है। मंत्री ने कहा, “दिल्ली में बैठकर किसानों की योजनाएं नहीं बनाई जा सकतीं, इसके लिए खेतों में जाकर उनकी वास्तविक जरूरतें समझनी होंगी।”

अभियान में किसानों से सीधे संवाद
29 मई से 12 जून तक चले ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान कृषि विशेषज्ञों की 2,170 टीमों ने 43,000 गांवों में जाकर 1.34 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद किया। चौहान ने साफ किया कि यह अभियान केवल एक चरण था, जिसे रबी सीजन में भी दोहराया जाएगा।

बीज और कीटनाशकों की गुणवत्ता पर चिंता
कृषि मंत्री ने अमानक बीजों और कीटनाशकों को बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि अभियान के दौरान इस संबंध में कई शिकायतें सामने आईं। उन्होंने बीज और कीटनाशकों से जुड़े कानूनों को और सख्त करने की बात कही और भरोसा दिलाया कि अब योजनाएं किसानों के सुझावों के आधार पर तैयार की जाएंगी।

‘लैब टू लैंड’ की रणनीति पर जोर
कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त 2024 में पूसा में 129 नई फसल किस्मों के लोकार्पण की याद दिलाते हुए कहा कि ‘लैब टू लैंड’ की सोच से ही यह अभियान प्रेरित है। आने वाले समय में सरकार तिलहन, दलहन, कपास और गन्ने के लिए अलग-अलग केंद्रित अभियान चलाएगी।

वैज्ञानिकों को सौंपे विशेष कार्य
शिवराज सिंह चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों से गन्ने में लगने वाली रेड रॉट बीमारी के लिए रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित करने और धान की सीधी बुआई के लिए उपयुक्त बीज तैयार करने की अपील की।

उन्होंने बताया कि 24 जून को पूसा में देशभर के वैज्ञानिकों की समीक्षा बैठक होगी, जबकि 26 जून को इंदौर में सोयाबीन पर केंद्रित विशेष बैठक होगी।

निष्कर्ष
चौहान ने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब देश का किसान विकसित होगा। इसके लिए नीतियों को खेतों और किसानों से जोड़कर तैयार करना जरूरी है। अब सरकार इसी दिशा में काम कर रही है।