क्‍या है कवच सिस्‍टम, जो रोक सकता था बंगाल में हुआ रेल हादसा?

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पश्चिम बंगाल के न्‍यू जलपाईगुड़ी में हुए रेल हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ को चर्चा में ला दिया है। न्‍यू जलपाईगुड़ी में स्टेशन के पास सोमवार को एक मालगाड़ी ने सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी, जिससे ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए। इस घटना में अब तक 15 यात्रियों के मारे जाने की खबर है जबकि कई अन्‍य गंभीर रूप से घायल हैं। अब कहा जा रहा है कि जिस रूट पर यह रेल हादसा हुआ, उस पर कवच का इस्‍तेमाल नहीं हो रहा था और अगर कवच होता तो संभवत: हादसे को रोका जा सकता था।

आखिर ये कवच है क्‍या?

कवच एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है, जिसे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरएससीओ) द्वारा तीन भारतीय फर्मों के साथ स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इसे रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तैयार किया गया है। कवल न केवल ट्रेनों की गति को नियंत्रित करता है, बल्‍क‍ि लोकोमोटिव ड्राइवरों को खतरे के संकेतों को मिस करने से बचाने में भी मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेनें विशेष रूप से कम दृश्यता की स्थिति में सुरक्षित रूप से चलें।

कैसे काम करता है कवच?

यदि चालक समय पर ब्रेक लगाने में नाकाम रहता है तो कवच स्वचालित रूप से यानी ऑटोमेटिकली ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है। इस सिस्‍टम में आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग पटरियों और स्टेशन यार्ड तथा सिग्नल पर पटरियों की पहचान करने तथा ट्रेन और उसकी दिशा का पता लगाने के लिए लगाए जाते हैं। जब सिस्टम सक्रिय होता है, तो 5 किमी के भीतर सभी ट्रेनें रुक जाती हैं ताकि बगल की पटरी पर मौजूद ट्रेन सुरक्षित रूप से गुजर सके। ऑन बोर्ड डिस्प्ले ऑफ सिग्नल एस्पेक्ट (OBDSA) खराब मौसम के कारण दृश्यता कम होने पर भी लोको पायलटों को सिग्नल देखने में मदद करता है। आमतौर पर, लोको पायलटों को सिग्नल देखने के लिए खिड़की से बाहर देखना पड़ता है। सुरक्षा प्रणाली ‘लाल सिग्नल’ के निकट पहुंचने पर लोको पायलट को सिग्नल भेजती है तथा सिग्नल पार होने से रोकने के लिए आवश्यक होने पर स्वचालित ब्रेक लगाती है।

साल 2022 में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने कवच सिस्‍टम को चेक किया था और सोशल मीडिया पर उसके बारे में जानकारी भी दी थी। कवच को अभी भी चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। फरवरी 2024 तक, इसे दक्षिण मध्य रेलवे नेटवर्क पर लगभग 1,465 किमी मार्ग और 139 लोकोमोटिव पर लागू किया गया है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा गलियारों पर भी कवच को लागू करने की योजना है।