गर्मियों में बढ़ सकती है अस्थमा की परेशानी, एक्सपर्ट के बताए इन तरीकों से करें बचाव

श्वांस प्रणाली से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों में अस्थमा भी शामिल है। यह एक ऐसी कंडिशन होती है, जिसमें श्वांस नली में सूजन की वजह से, यह संकड़ी हो जाती है और अधिक म्यूकस बनाने लगती है। इसके कारण सांस लेने में तकलीफ, सांस फूलना और खांसी, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आने जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। हालांकि, यह फैलने वाली बीमारी नहीं है, लेकिन सही इलाज न मिलने पर यह जानलेवा जरूर साबित हो सकती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, साल 2019 में लगभग 26 करोड़ लोग अस्थमा से ग्रस्त थे और इसके कारण लगभग 4 लाख लोगों की मौत हुई थी। इसलिए अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक बनाने और उनकी सही देखभाल पर ध्यान देने के लिए हर साल मई के पहले मंगलवार को World Asthma Day मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड अस्थमा डे 7 मई को मनाया जाएगा।
अस्थमा को मैनेज करने के लिए जरूरी है कि Asthma Trigger करने वाले फैक्टर्स से दूर रहा जाए। मौसम में बदलाव के कारण भी अस्थमा अटैक आ सकता है। गर्मियों में हवा में गर्माहट बढ़ जाती है और कई प्रदूषक भी शामिल होते हैं, जिनके कारण अस्थमा की समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए गर्मियों में सावधानी बरतना काफी जरूरी होता है। गर्मियों में अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए क्या करना चाहिए, यह जानने के लिए हमने डॉ. प्रतिभा डोगरा (मैरिंगो एशिया अस्पताल, गुरुग्राम के पल्मोनोलॉजी विभाग की वरिष्ठ कंसल्टेंटे) से बातचीत की। आइए जानते हैं उन्होंने इस बारे में क्या जानकारी दी।

डॉ. डोगरा ने बताया कि गर्मियों में अस्थमा ट्रिगर करने वाले फैक्टर्स से बचाव करना बेहद जरूरी होता है। इनकी वजह से अस्थमा के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं। इसलिए अस्थमा अटैक्स को कम करने के लिए कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।

गर्मियों में हवा काफी गर्म हो जाती है, जिसकी वजह से आपकी श्वांस प्रणाली में दिक्कत हो सकती है। इसतके कारण अस्थमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि जब गर्मी ज्यादा होती है, जैसे सुबह 11 बजे के बाद से लेकर 5 बजे से पहले तक के समय मे, कोशिश करें कि बाहर कम निकलें। सुबह 7-9 बजे तक या शाम के समय बाहर निकलें, ताकि गर्मी का प्रभाव आपके ऊपर कम हो।

गर्मियों में सुबह और शाम के समय हवा में काफी पॉलेन मौजूद होते हैं, जो अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए इन समय कोशिश करें कि बाहर कम से कम निकलें। खासकर, जब हवा तेज चल रही हो, उस समय पॉलेन की मात्रा हवा में काफी बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे समय पर बाहर न निकलने में ही समझदारी है।

गर्मियों में हवा में पॉलेन की मात्रा बढ़ जाती है, जो घर में भी आ सकते हैं और श्वांस प्रणाली में प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए अपने घर की खिड़की बंद रखें। इसके अलावा, अपने ए.सी का फिल्टर भी समय-समय पर साफ करते रहें, ताकि वहां से कोई प्रदूषक भीतर न आए।

अपने आस-पास की हवा का AQI चेक करें। अगर हवा की गुणवत्ता अधिक खराब हो, तो कोशिश करें कि आप घर पर ही रहें। प्रदूषण का स्तर बढ़ने की वजह से अस्थमा अटैक आ सकता है। इसलिए अगर बाहर निकलना भी पड़े, तो बिना मास्क लगाए न जाएं।

अस्थमा के मरीज अपने घर पर पीक फ्लो मीटर रख सकते हैं। यह एक प्रकार का डिवाइस होता है, जो आपके फेफड़ों की क्षमता जांचने में मदद करता है। इसकी मदद से अस्थमा मैनेज करने और इलाज में भी मदद कर सकता है।