गुरुग्राम की दमदमा झील का पानी सूखने से निराश होकर लौट रहे पर्यटक

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आखिरकार शासन-प्रशासन की अनदेखी अरावली पहाड़ी की गोद में विकसित दमदमा झील पर भारी पड़ ही गई। झील पूरी तरह सूख चुकी है। इससे यह पर्यटक स्थल नहीं बल्कि खेल का मैदान नजर आ रही है। बच्चे बोटिंग की जगह इसमें बैटिंग करने लगे हैं। पक्षियां पूरी तरह गायब हो चुकी हैं। कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा कि पहले झील रही होगी।

सोहना से आठ किलोमीटर की दूरी पर दमदमा झील है। बताया जाता है कि इसे अंग्रेजी हुकूमत ने वर्षा जल संचयन के लिए बनवाया था। प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण को देखते हुए इसे पर्यटक स्थल घोषित कर दिया गया। यह झील तीन तरफ से अरावली पहाड़ी से घिरी है।

झील तक पानी पहुंचने के रास्ते लगभग बंद हाे गए

इस वजह से इसमें कभी भी पानी की कमी नहीं होती थी। पिछले कुछ सालों के दौरान देखते ही देखते अरावली पहाड़ी क्षेत्र में फार्म हाउसों की बाढ़ सी आ गई। इससे झील तक पानी पहुंचने के रास्ते लगभग बंद हाे गए। अब नजदीक की पहाड़ी से ही पानी झील तक पहुंचता है।

इस तरह साल दर साल झील में पानी कम होता चला गया। नतीजा इस बार लगभग एक किलोमीटर लंबी व 20 मीटर गहरी झील पूरी तरह सूख गई। पक्षियां दूर-दूर तक दिखाई नहीं देतीं जबकि यह देशी और प्रवासी पक्षियों की 180 से अधिक प्रजातियों का घर है।

पहले भी पानी कम हुआ है, लेकिन पूरी तरह झील कभी नहीं सूखी। आसपास के लोगों का कहना है कि अरावली की सुरक्षा पर ध्यान न दिए जाने का नतीजा है दमदमा झील की बदहाली। यदि फार्म हाउस विकसित नहीं किए जाते तो झील में कभी पानी की कमी नहीं होती।

यही नहीं वैध व अवैध खनन की वजह से जगह-जगह गहरे गड्ढे बन चुके हैं। वर्षा के पानी से पहले गड्ढे भरते हैं। गढ्ढों के भरने के बाद जो पानी बचता है वह झील तक पहुंचता है।

बोरवेल के ऊपर नहीं दिया जा रहा ध्यान

वर्षा का पानी जुलाई से लेकर लगभग मार्च तक झील में रहता है। पानी कम होने पर अप्रैल से जून के बीच झील के सूखने की आशंका रहती है। इसके लिए लंबे समय से लोगों की मांग है कि झील में चारों तरफ एक-एक बोरवेल कराने के ऊपर ध्यान देना चाहिए। इससे झील में कुछ न कुछ पानी हमेशा रहेगा।

मैं हिसार का रहने वाला हूं। दमदमा झील के बारे में बहुत सुना था। गुरुग्राम किसी काम से आया था। कुछ समय मिला तो सोचा कि झील में बोटिंग कर लूं। यहां आकर बहुत निराशा हुई। झील पूरी तरह सूख गई होगी, ऐसा सोच ही नहीं सकता था। इस वजह से पहुंच गया। देखकर ऐसा लगता है जैसे क्रिकेट का मैदान हो। इस बारे में शासन-प्रशासन को विचार करना चाहिए।