गृह मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार, 35 नई बटालियन करेंगी प्रमोशन में पिछड़े जवानों और अफसरों को शांत

 35 नई बटालियन करेंगी प्रमोशन में पिछड़े जवानों और अफसरों को शांत

आपकी जानकारी के लिए बता दे देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के जवान और अफसर, पदोन्नति के मोर्चे पर पिछड़ रहे हैं। सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर और सीधी भर्ती के जरिए बल में आने वाले सहायक कमांडेंट से कमांडेंट तक, सभी को पदोन्नति में देरी का दंश झेलना पड़ रहा है। सिपाही को हवलदार बनने में 18 से 20 साल लग रहे हैं। इंस्पेक्टर को सहायक कमांडेंट तक पहुंचने में 13 साल से ज्यादा वक्त लग रहा है, तो वहीं ग्राउंड कमांडर को अपने करियर की पहली पदोन्नति के लिए 15 वर्ष का इंतजार करना पड़ रहा है। कैडर अधिकारियों की पदोन्नति का मामला तो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, मगर कोई राहत नहीं मिल रही। अब सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह ने कैडर अधिकारियों की पदोन्नति एवं दूसरे मुद्दों का हल निकालने के लिए एक कमेटी गठित की है। कुछ रैंकों को फौरी तौर पर थोड़ी बहुत राहत मिल जाए, इसके लिए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय में 35 बटालियन के सृजन का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो कुछ हद पदोन्नति की राह आसान हो जाएगी।

प्रमोशन में  राहत मिलेगी


मंगलवार को देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ में पहली बार किसी डीजी ने ग्राउंड कमांडरों यानी सहायक कमांडेंट के दिल की बात सुनी। डीजी अनीश दयाल सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ढाई सौ से अधिक ग्राउंड कमांडरों से बातचीत की है। पदोन्नति के मोर्चे पर पिछड़े सहायक कमांडेंट ने कहा, ‘प्रमोशन में विलंब है अभिशाप’। युवा ग्राउंड कमांडरों ने पदोन्नति सहित कई दूसरे मुद्दे भी उठाए। उन्होंने डीजी के समक्ष, जवानों के कल्याण से जुड़े विभिन्न मुद्दे भी रखे। तब डीजी ने बताया कि बल की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्रालय को 35 नई बटालियनों के सृजन का प्रस्ताव भेजा गया है। इससे प्रमोशन में कुछ तात्कालिक राहत मिलेगी। सहायक कमांडेंट एवं इससे निचले रैंक वालों को पदोन्नति में थोड़ा बहुत फायदा होगा। कैडर अधिकारियों की पदोन्नति सहित दूसरी समस्याओं का हल खोजने के लिए सीआरपीएफ डीजी ने मार्च में कैडर अधिकारियों का ‘बोर्ड ऑफ ऑफिसर’ गठित किया था। बोर्ड को एक जून तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।

 नई बटालियन का प्रस्ताव

सीआरपीएफ के लिए रिस्ट्रक्चर प्लान बनता है और बिगड़ जाता है। बल मुख्यालय से फाइल निकलकर केंद्रीय गृह मंत्रालय में पहुंचती है। कई दफा वहां से बिना मंजूरी के फाइल वापस लौट आती है। गत वर्ष भी यह चर्चा जोरों पर रही थी कि सीआरपीएफ में 35 से अधिक नई बटालियन खड़ी करने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो पदोन्नति को लेकर जवानों और कैडर अफसरों में जो गुस्सा है, वह आंशिक तौर पर शांत हो सकता है। नई बटालियन कैसे खड़ी होंगी, इसका तरीका सुझाया गया था। सीआरपीएफ की कुल 246 बटालियनों से से 228 बटालियनों से ‘गोल्फ कंपनी’ को अलग कर लिया जाए। इससे लगभग 228 कंपनी निकल जाएंगी। मतलब, 38 नई बटालियन खड़ी होंगी। तकरीबन सभी रैंकों में पदोन्नति के अवसर मिलेंगे। हालांकि इसका एक बड़ा नुकसान भी है। गोल्फ कंपनी, जिसे ट्रेनिंग कंपनी के नाम से भी जाना जाता है, वह चक्र टूट जाएगा।