आपी जानकारी के लिए बता देंं कि खबर यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) द्वारा मंगलवार को शीतकालीन सत्र (Winter Session) के दूसरे दिन जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार और पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया गया।
इसमें विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए 2 और पाक अधिकृत कश्मीर के विस्थापितों के लिए 1 सीट आरक्षित करने का प्रावधान है।
विधेयक में क्या होगा खास
विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान है।
क्या है विशेषताएं
विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग शामिल हैं, जिनमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े घोषित किए गए गांवों में रहने वाले लोग, वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले लोग और कमजोर व वंचित वर्ग (सामाजिक जातियां) शामिल हैं, जैसा कि अधिसूचित किया गया है।
बता दें कि यह विधेयक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा घोषित कमजोर और वंचित वर्गों को अन्य पिछड़े वर्गों से प्रतिस्थापित करता है। बता दें कि विधेयक से कमजोर और वंचित वर्ग की परिभाषा हटा दी गई है।
बता दें कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 26 जुलाई, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है।
अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य के संघ में पुनर्गठन का प्रावधान करता है। इसमें जम्मू और कश्मीर (विधानमंडल के साथ), लद्दाख (विधानमंडल के बिना) के क्षेत्र शामिल है।
वहीं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की दूसरी अनुसूची विधानसभाओं में सीटों की संख्या का प्रावधान करती है। 2019 अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया।
इसमें अनुसूचित जाति के लिए छह सीटें आरक्षित की गई हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। विधेयक सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 कर देता है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित हैं।
क्या कहा गया है विधेयक में
विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए। प्रवासियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है, जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू और कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से से चले गए और राहत आयुक्त के साथ पंजीकृत हैं।
आरक्षण बिल में गुज्जरों के साथ पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति जा दर्जा देने का प्रविधान है।
बता दें कि प्रवासियों में वे व्यक्ति भी शामिल हैं, जो किसी सरकारी कार्यालय में सेवा में हैं, जो किसी काम के लिए चले जाने से या जिस स्थान से वह प्रवासित हुए हैं उस स्थान पर अचल संपत्ति रखने के कारण पंजीकृत नहीं हैं, लेकिन अशांत परिस्थितियों के कारण वहां रहने में असमर्थ हैं।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय शासित प्रदेश के उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित कर सकते हैं।