उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल के बारे में भी ट्वीट किया है, जिन्होंने एक विधायक को मंत्री के रूप में मंजूरी नहीं दी। उन्होंने कहा है कि संविधान के अनुसार, मंत्रिपरिषद का अधिकार मुख्यमंत्री को होता है, न कि राज्यपाल को। उन्होंने पंजाब, दिल्ली, बंगाल और तमिलनाडु में हाल ही में हुई घटनाओं के उदाहरण दिए हैं, जिससे यह साबित होता है कि कुछ राज्यपाल अपनी सीमाओं को लांघ रहे हैं।
चड्ढा ने दिल्ली में भी उठाया मुद्दा, कहा है कि एलजी ने शासन को अव्यवस्थित कर दिया है और चुनी हुई सरकार को पंगु बना दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्यपाल कानून के ऊपर नहीं होते हैं और राज्य की सरकारें लोगों द्वारा चुनी जाती हैं। राघव चड्ढा का मानना है कि अनिर्वाचित राज्यपालों की अनियंत्रितता नहीं होनी चाहिए।
उनके बयान के बाद, यह मुद्दा व्यापक चर्चा का कारण बन गया है और विभिन्न राजनीतिक दलों और व्यक्तियों ने इस पर अपने विचार रखे हैं। इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई की जाएगी या नहीं, यह अधिकारिक अथॉरिटीज और संविधानिक प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित की जाएगी।
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