1. इंडस्ट्रियल डिमांड में जबरदस्त उछाल
एक्सपर्ट का मानना है कि चांदी की डिमांड सौर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक गाड़ी जैसे एरिया से सबसे ज्यादा आती है। करीब 60% चांदी की खपत इंडस्ट्रियल सेक्टर्स में होती है। यही डिमांड पिछले कुछ महीनों में बहुत बढ़ गई है।
2. सप्लाई कम, डिमांड ज्यादा
सप्लाई की बात करें तो पिछले 5 सालों से लगातार चांदी की सप्लाई में घाटा चल रहा है। खास बात यह है कि चांदी अक्सर दूसरे धातुओं के साथ एक बायप्रोडक्ट के रूप में मिलती है, लेकिन इस एरिया में निवेश की कमी होने के कारण सप्लाई बढ़ नहीं पा रही है।
3. निवेशकों का बढ़ता रुझान
ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी के मुताबिक अब निवेशक चांदी को सिर्फ एक कीमती मेटल की तरह नहीं बल्कि एक मजबूत इंडस्ट्रियल मेटल की तरह भी देख रहे हैं। मई महीने में चांदी से जुड़े ईटीएफ (ETF) में 854 करोड़ रुपये का निवेश आया, जो कि सोने के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है।
इस बार खास बात ये है कि चांदी ने सोने से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। जून महीने में चांदी की कीमतों में सोने से ज्यादा तेजी देखी गई। इसकी वजह इंडस्ट्रियल इस्तेमाल और सोने की तुलना में चांदी में निवेश का बढ़ता अट्रैक्शन है। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर इंडस्ट्रियल डिमांड इसी तरह बनी रही और माइनिंग में सुधार नहीं हुआ, तो चांदी की कीमतें और ऊंचाई छू सकती हैं।