जब चीनी सेना ने हजारों छात्रों को बर्बरता से मारा था, दुनिया भर में मनाई गई 35वीं बरसी

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज से ठीक 35 वर्ष पहले चीन की कम्युनिस्ट सरकार के आदेश पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने एक नरसंहार को अंजाम दिया था। इस नरसंहार को तियानमेक चौक नरसंहार के नाम से जाना जाता है। आज इस नरसंहार के 35 वर्ष हो चुके हैं।  

चौक नरसंहार को याद किया गया
जापान और जर्मनी में कई संगठनों ने तियानमेन चौक नरसंहार की 35वीं वर्षगांठ मनाई। जापान के संसद भवन में इस नरसंहार को याद किया गया। इस दौरान जापान के पूर्व मंत्री मानिको सेशू ने लोकतंत्र की महत्ता पर अपने विचार रखे। मानिको सेशू काफी लंबे समय से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा मानवाधिकारों के हनन का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन के नागरिकों को दमनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन (सीटीए) ने इस बात की जानकारी दी है। 


इस दौरान जापान और पूर्व एशिया में सीटीए के प्रतिनिधि त्सेवांग ग्याल्पो ने भी तियानमेन स्क्वायर नरसंहार पर शोक प्रकट किया। इस दौरान ग्याल्पो ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग न तो अलगाववादी हैं और न ही चीन के खिलाफ हैं। ग्याल्पो के अनुसार सीसीपी तिब्बत के लोगों की एकजुटता को देखकर डरी हुई है।

नरसंहार क्या था? 
4 जून 1989 को चीन के तियानमेन चौक में नरसंहार हुआ था। इस दौरान चीन के कम्युनिस्ट शासन ने लोकतंत्र की बहाली के लिए उठाई गई आवाजों को दबाने का काम किया। दरअसल, 35 वर्ष पहले हजारों छात्रों ने चीन में लोकतंत्र की बहाली के लिए आवाज उठाई थी। उस दौरान चीन की सरकार ने निहत्थे छात्रों के आंदोलन का दमन करने के लिए उनके ऊपर टैंक चढ़वा दिए। चीनी कम्युनिस्ट सरकार (सीसीपी) के निर्देशों पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यह कार्रवाई की थी। बताया जाता है कि इस घटना में 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।