प्रदेश में देश के विरुद्ध जाने वालों की संख्या बढ़ रही है। जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या इसी ओर इशारा करती है। बीते एक वर्ष के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ये एकमात्र ऐसा अपराध है, जिसके कैदी सबसे अधिक बढ़े।
सूत्रों का कहना है कि जम्मू कश्मीर में एनआईए, एसआईए जैसी एजेंसियों द्वारा कड़ा शिकंजा कसने से ऐसा हुआ है। अधिकतर मामलों में इन एजेंसियों ने आतंकियों की मदद करने वालों पर कार्रवाई की है।
आतंकी संगठनों के लिए वित्तीय मदद करने, रसद, आश्रय देने वालों को दबोचा गया। जिनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
कश्मीर संभाग के अलावा जम्मू में भी बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई है। जेल विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में 31 जनवरी तक जम्मू कश्मीर की विभिन्न जेलों में यूएपीए के तहत 829 कैदी थे। ये आंकड़ा 31 जनवरी 2025 तक 895 पहुंच गया है।
इस तरह से 66 लोगों का इजाफा एक वर्ष में हुआ है। यहीं नहीं, जेलों में बंद कुल कैदियों की संख्या को देखें तो 4400 कैदियों में इस अपराध के ही 895 हैं। इस हिसाब से प्रदेश में होने वाला ये तीसरा सबसे बड़ा अपराध है।
यूएपीए के बाद सबसे अधिक कैदी एनडीपीएस के 1247 हैं। 972 हत्याओं और 534 दुष्कर्म के हैं। हैरत की बात ये भी है कि बीते एक वर्ष में जेलों में बंद कैदियों की संख्या दूसरे मामलों में कम हुई है, सिर्फ यूएपीए के तहत कैदियों की संख्या बढ़ी है।
आसानी से न छूटे, इसलिए हो रही कार्रवाई
देश के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियों को लेकर यूएपीए में मामला दर्ज होने पर आरोपी आसानी से छूटते नहीं हैं। इनके ऊपर ऐसी कार्रवाई जरूरी भी है। पिछले कुछ समय से पुलिस की तरफ से ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज की गई है। खासतौर पर आतंकी समर्थकों पर। पुलिस को ये कार्रवाई आगे भी जारी रखनी चाहिए।
-एसपी वैद, पूर्व डीजीपी
देश में पहले नंबर पर जेएंडके
बता दें कि बीते वर्ष नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकार्ड (एनसीआरबी) ने वर्ष 2020 से 2022 तक की रिपोर्ट साझा की। इस रिपोर्ट के तहत (यूएपीए) में देशभर में दर्ज होने वाले कुल मामलों में 33 फीसदी अकेले जम्मू कश्मीर के थे। वर्ष 2020 में जम्मू कश्मीर में 287, 2021 में 289 और 2022 में 371 मामले इस अपराध के तहत दर्ज हुए। इस आंकड़े के साथ जम्मू कश्मीर देश में यूएपीए के तहत मामले दर्ज करने में पहले नंबर पर था।