आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जम्मू शहरा से बड़ी खबर यह आ रही है कि ऐतिहासिक रण्बीरेश्वर मंदिर में बड़ा हादसा होने से टल गया।
इस बीच मंगलवार की सुबह बारिश के बीच शहर के शालामार स्थित मंदिर का एक हिस्सा गिर गया। जानकारी के अनुसार गणिमत यह रही कि उस समय वहां श्रद्धालु नहीं थे जिससे कोई जानी नुकसान नहीं हुआ लेकिन मुख्य मंदिर के ठीक सामने स्थापित नंदी बैल मंदिर का हिस्सा गिरने से मलबे में दब गए है।
एसडीआरएफ ने संभाला मोर्चा
वहीं, इस दौरान एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई है और मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि मंदिर के इस हिस्से में काफी समय से दरारें आई थी और समय पर आवश्यक मरम्मत न करवाए जाने के कारण यह हादसा पेश आया। जानकारी के अनुसार अलबत्ता इस मंदिर का रखरखाव करने वाला जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट फिलहाल इस हादसे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। यह हादसा मंगलवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुआ। उस समय बारिश हो रही थी कि अचानक मुख्य मंदिर के आगे का बरामदे का यह सारा हिस्सा गिर गया।?
आपको बता दें कि हादसे के दौरान मंदिर में चंद श्रद्धालु ही थे और वे भी भीतर मंदिर में थे जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया। जानकारी के अनुसार हालांकि हादसे के समय वहां चीख-मुकार मंच गई और सेवादार भी सुरक्षित स्थानों की ओर दुबक गए।
हादसे की जानकारी मिलने पर मंदिर के सामने स्थित सिटी पुलिस स्टेशन से पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे जिसके बाद एसडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया।
कुछ इस तरह का है मंदिर का इतिहास
बताया यह जा रहा है कि इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण महाराजा रणबीर सिंह ने 1883 में करवाया था। यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा शिव मंदिर है जहां देश के कोने-कोने से दर्शनों के लिए श्रद्धालु आते है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के मध्य में स्थित शिवलिंग साढ़े सात फीट ऊंचा है।अन्य बारह पारदर्शी शिवलिंग 15 से 38 सेंटीमीटर ऊंचाई के हैं। इसके साथ ही मंदिर के दीर्घा में एक हजार शिवलिंग स्थापित हैं, जो पत्थर से बने हुए हैं।
मंदिर में स्थापित भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां महाराजा रणबीर सिंह ने राजस्थान के प्रसिद्ध मूर्तिकारों से तैयार करवाई थीं। जानकारी के अनुसार इसके अलावा साढ़े सात फीट ऊंचा शिवलिंग नर्मदा नदी से निकला गया है, जिसे ट्रेन से जम्मू लाया गया था।
इस महान महाराज की भी है समाधि
बता दें कि महाराजा स्वयं इस शिवलिंग को आरएसपुरा से रथ पर अपने साथियों के साथ भजन-कीर्तन करते खींचते हुए जम्मू लाए। इसके साथ ही उन दिनों जम्मू में ट्रेन आरएसपुरा तक ही आती थी। साथ ही इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब दो साल का समय लगा। मंदिर के अंदर बनाए गए चित्रों में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान राम की भव्य लीलाओं की झलक देखने को मिलती है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में नाद गिरि जी महाराज की समाधि भी निर्मित है।