बता दें कि अंतराष्ट्राय मामलों से खबर यह आ रही है कि अमेरिका खुफिया और सुरक्षा एजेंसी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के प्रमुख अगले सप्ताह भारत दौरे पर होंगे। यह यात्रा उस वक्त होने जा रही है, जब पिछले ही दिनों अमेरिकी प्रशासन ने एक भारतीय नागरिक और एक भारतीय एजेंसी के अधिकारी के खिलाफ खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या का षड़यंत्र रचने के आरोप लगाए थे। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये सूचनाएं दोनों देशों के लिए चिंता का विषय हैं और हमने आवश्यक कार्रवाई करने का फैसला किया है।
ऐसे में सवाल उठते हैं कि एफबीआई प्रमुख भारत दौरे का कार्यक्रम क्या है? इस यात्रा का मकसद क्या हो सकता है? दौरे पर भारत का क्या रुख हो सकता है? आइये जानते हैं…
एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर ए. रे अगले सप्ताह भारत का दौरा करेंगे। रे 11 और 12 दिसंबर को भारत की यात्रा पर होंगे। 2017 में एफबीआई का निदेशक बनने के बाद यह क्रिस्टोफर ए. रे का पहला भारत दौरा होगा। 12 वर्षों में पहली बार होगा जब एफबीआई प्रमुख भारत के दौरे पर होंगे।
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने एफबीआई प्रमुख की प्रस्तावित भारत यात्रा की पुष्टि की है। बीते दिनों गार्सेटी ने एक कार्यक्रम में अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती और बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों की ओर से नई दिल्ली की यात्रा की भी जानकारी दी।
इस यात्रा का मकसद क्या है?
एफबीआई निदेशक भारत दौरे पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख दिनकर गुप्ता से मुलाकात कर सकते हैं। इसके अलावा क्रिस्टोफर ए. रे भारतीय खुफिया एजेंसियों और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ मुलाकात कर सकते हैं। जानकारी के अनुसार, केस और साक्ष्यों को एफबीआई निदेशक के साथ साझा किए जाएंगे।
जिन मामलों पर दोनों पक्षों में वार्ता हो सकती है उनमें खालिस्तानी आतंकवाद, जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और गैंगस्टर नेटवर्क जैसे मुद्दे शामिल हैं।
इसके अलावा खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की कोशिश का मामला एफबीआई की तरफ से चर्चा में शामिल किया जा सकता है। दरअसल, अमेरिका की संघीय जांच एफबीआई खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के साजिश रचने के मामले की जांच कर रही है। दरअसल, ब्रिटेन के एक दैनिक अखबार ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू की हत्या को साजिश को नाकाम किया था। अखबार की मानें तो, अमेरिकी सरकार ने इस साजिश में शामिल होने का आरोप भारत पर लगाया। इसके साथ ही भारत के लिए चेतावनी भी जारी की। हालांकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि यह मामला कब का है।