जो दशकों तक मित्र रहा उस ईरान को क्यों अभिशाप बताता है इस्राइल

इस वक्त ईरान और इस्राइल आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव दुनिया में एक और मोर्चे पर संघर्ष की आहट दे रहा है। 27 सितंबर को इस्राइली हमले में हिजबुल्ला प्रमुख हसन नसरल्ला की मौत के बाद ईरान ने इस्राइल के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर 180 से अधिक बैलेस्टिक मिसाइलें दागी हैं। वहीं ईरानी मिसाइल हमले के बाद इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को कड़ी चेतावनी दी है। यरुशलम में सुरक्षा कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने एक बड़ी गलती की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

इससे पहले इसी साल अप्रैल में सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुए हमले के बाद ईरान ने इस्राइल पर हवाई हमले किए थे। ईरान ने उस वक्त इस्राइल पर 330 मिसाइलें दागी थीं। इस दौरान ड्रोन हमले भी किए गए थे।

अब नए हमले के बाद इस्राइल भी ईरान पर जवाबी कार्रवाई की चेतवानी दे रहा है। उधर ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने इस हमले को जायज ठहराया है। पेजेशकियन ने चेतवानी देते हुए कहा कि ईरान किसी भी खतरे के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। इस्राइल ईरान के साथ संघर्ष में न पड़ें। इससे संकेत मिल रहा है कि क्रिया-प्रतिक्रिया का सिलसिला जल्द थमने वाला नहीं है। आज ईरान और इस्राइल भले ही आमने-सामने हैं लेकिन ये कभी दोस्त हुआ करते थे। रिश्तों में खटास की वजह ईरान की क्रांति को माना जाता है।