महिला आरक्षण बिल पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपनी प्रतिक्रिया दी

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार की शाम को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर महिला आरक्षण बिल पर अपने विचार जाहिर किए। उन्होंने कहा कि संसद में प्रस्तावित महिला आरक्षण बिल का स्वागत योग्य कदम है और उन्होंने बिहार में महिला सशक्तीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार में पहले से ही पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, और वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में भी 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, और वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। वे बताते हैं कि बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है।

नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि संसद में प्रस्तावित महिला आरक्षण बिल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए, जैसे कि पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए होता है।

नीतीश कुमार ने विचार दिया कि प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना की जाएगी और फिर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाएगा, और फिर ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू किए जाएंगे। वे कहते हैं कि जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी की जानी चाहिए, ताकि पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सके।

वे महिला सशक्तीकरण के कई कदमों के बारे में भी चर्चा करते हैं, जैसे कि महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में आरक्षित सीटों पर चुनौती देना और मेडिकल और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की सीटों में न्यूनतम 33 प्रतिशत आरक्षित सीटें छात्राओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव। इसके साथ ही, वे महिला स्वयं सहायता समूहों के बड़े गठन का भी जिक्र करते हैं जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का काम कर रहे हैं।

नीतीश कुमार का यह बयान आवश्यकता के अनुसार अवलोकन किया जा रहा है, और इससे प्रस्तावित महिला आरक्षण बिल को समर्थन मिलता है। वह यह भी सुझाव देते हैं कि जनगणना के साथ जातिगत जनगणना की जरूरत है ताकि आरक्षण के प्रावधान को ठीक से लागू किया जा सके और समाज के सभी वर्गों की महिलाओं को उसके फायदे तक पहुँचाने में सहायक हो सके।

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