दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न करने को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को कड़ी फटकार लगाई है। आयोग की खिंचाई करते हुए कहा कि आयोग को और अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।
सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, पराली जलाने के वैकल्पिक उपकरणों का जमीनी स्तर पर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों की जरूरत है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पैनल को बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा से कहा कि, आपने अबतक अधिनियम के एक भी प्रावधान का अनुपालन नहीं किया है। आपका हलफनामा देखिए। कोर्ट ने पूछा कि क्या धारा 11 के अंतर्गत समितियां बनाई गई हैं? यह सब हवा में है। ऐसे में पराली से होने वाले वायु प्रदूषण से कैसे निपटेंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हर साल पराली जलाने की समस्या सामने आती है। आप पराली जलाने के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। आपकी तीन महीने में एक बार बैठक होती है। अब जब हम संकट के कगार पर खड़े हैं। तभी भी बैठकें के बीच में भारी अंतराल है। कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि, मुझे आयोग द्वारा अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया कोई आदेश दिखाएं।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा पढ़ा। जिसमें पराली संकट से निपटने के लिए सलाह और दिशा-निर्देश जारी करने जैसे कदमों की रूपरेखा दी गई थी। हालांकि कोर्ट ने आयोग के इन प्रयासों को एकदम प्रभावहीन माना।
‘सिर्फ कागजों पर हो रहा है काम’
शीर्ष अदालत ने कहा कि, पराली से निपटने की सभी कार्रवाई सिर्फ कागजों पर हो रही हैं। हमें आपके कागज में कोई दिलचस्पी नहीं है। हमें एक भी निर्देश दिखाओ जो उन्होंने जारी किया हो। कोर्ट ने कहा कि क्या सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई कार्रवाई की गई है? आप मूकदर्शक बने हुए हैं। यदि आप यह संदेश नहीं दे सकते हैं कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तो ये प्रावधान केवल कागज पर ही रह जाएंगे।