देशभर में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंताजनक है, जिनमें वाहन चालकों की लापरवाही एक बड़ा कारण बनकर सामने आई है। हर साल लगभग पौने दो लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चों की जान भी जाती है। इसी को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और चालकों को अधिक जिम्मेदार बनाने के लिए मोटर वाहन कानून को सख्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
बच्चों के साथ यात्रा के दौरान नियम उल्लंघन पर दोगुना जुर्माना
मंत्रालय के नए प्रस्ताव के अनुसार, यदि कोई वाहन चालक उस समय ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करता है जब गाड़ी में नाबालिग बच्चे सवार होते हैं, तो उस पर लगने वाले जुर्माने की राशि दोगुनी होगी। यह नियम न सिर्फ निजी वाहनों बल्कि स्कूलों के स्वामित्व या किराये के आधार पर संचालित स्कूल वाहनों पर भी लागू होगा। इस स्थिति में वाहन मालिक और चालक दोनों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
मेरिट-डीमेरिट प्वाइंट सिस्टम लाने की तैयारी
इसके साथ ही, मंत्रालय बार-बार नियम तोड़ने वाले चालकों की पहचान के लिए मेरिट-डीमेरिट प्वाइंट सिस्टम लागू करने की योजना बना रहा है। इस प्रणाली के तहत हर ट्रैफिक उल्लंघन पर चालक के ड्राइविंग लाइसेंस पर नेगेटिव अंक (डीमेरिट प्वाइंट्स) दर्ज किए जाएंगे। यदि यह अंक निर्धारित सीमा से अधिक हो जाते हैं, तो संबंधित चालक का लाइसेंस अस्थायी या स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है।
बीमा और लाइसेंस नवीनीकरण से भी जुड़ेंगे प्वाइंट्स
सरकार का विचार है कि इन डीमेरिट अंकों को वाहन बीमा प्रीमियम से भी जोड़ा जाए, ताकि जिम्मेदार चालकों को लाभ और लापरवाह चालकों को आर्थिक नुकसान हो। साथ ही, लाइसेंस के नवीनीकरण के समय इन अंकों की समीक्षा की जाएगी और यदि डीमेरिट अंक ज्यादा हुए तो चालक को दोबारा ड्राइविंग टेस्ट देना होगा।
राज्यों के सहयोग पर उठे सवाल
हालांकि यह प्रस्ताव भविष्य में सड़क सुरक्षा को मजबूत कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि ये नियम जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी ढंग से लागू हो पाएंगे। अभी तक मंत्रालय द्वारा किए गए कई प्रयासों को राज्यों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला है, जिससे सड़क सुरक्षा संबंधी योजनाओं की सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरकार ने यह मसौदा विभिन्न मंत्रालयों को भेजकर सुझाव मांगे हैं। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो निश्चित ही यह सड़क हादसों में कमी लाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।