नई दिल्ली, 25 जून: बिहार की तर्ज पर अब देश के पांच अन्य राज्यों में भी घर-घर जाकर मतदाता सूची का व्यापक सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने यह पहल मतदाता सूची को अधिक सटीक और त्रुटिरहित बनाने के उद्देश्य से शुरू की है। यह अभियान उन राज्यों में शुरू होगा जहां 2026 के मध्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
इन राज्यों में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी शामिल हैं। बिहार में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, जहां यह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
मतदाता सत्यापन की प्रक्रिया कैसी होगी?
निर्वाचन आयोग की इस नई पहल के तहत, हर मतदाता से एक घोषणा पत्र भरवाया जाएगा और उसे जन्म तिथि और जन्म स्थान से संबंधित वैध दस्तावेज जमा करने होंगे।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई अवैध विदेशी नागरिक या अप्रवासी मतदाता सूची में शामिल न हो।
घुसपैठियों की पहचान पर विशेष फोकस
चुनाव आयोग विशेष रूप से उन लोगों की पहचान करना चाहता है जो बांग्लादेश या अन्य देशों से अवैध रूप से आकर भारत में बस गए हैं और मतदाता सूची में गलत तरीके से अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं, खासकर पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में।
इन लोगों से जन्मस्थान, माता-पिता की जानकारी और निवास स्थान की भी जानकारी मांगी जाएगी।
दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच और अपलोडिंग की प्रक्रिया के बाद संदिग्ध नामों की पहचान की जाएगी।
लंबे समय से राज्य से बाहर रह रहे लोगों और नागरिकता संबंधी संदेह पर आधारित नामों को सूची से हटाने पर जोर रहेगा।
किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?
चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार:
18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नए मतदाताओं को अपनी जन्म तिथि और जन्म स्थान के प्रमाण देने होंगे।
1 जुलाई 1987 से पहले जन्म लेने वालों को भी प्रमाणित दस्तावेज देने होंगे।
1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों को भी अपने जन्म स्थान और तिथि से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों के लिए कड़े नियम
इस श्रेणी के मतदाताओं को माता-पिता दोनों के जन्म तिथि और स्थान के दस्तावेज भी दिखाने होंगे।
अगर माता-पिता में से कोई भारतीय नागरिक नहीं है, तो उस स्थिति में जन्म के समय का मान्य पासपोर्ट और वीज़ा दिखाना होगा।
विदेश में जन्मे लोगों को भारतीय मिशन द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा।
जिन्होंने नागरिकता अधिनियम के तहत भारत की नागरिकता प्राप्त की है, उन्हें इसका प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना होगा।
सत्यापन के उद्देश्य
चुनाव आयोग का यह अभियान मतदाता सूची की शुद्धता बढ़ाने और चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। खासकर विदेशी घुसपैठियों को बाहर करने और नकली मतदाताओं की पहचान करने के लिए इसे बेहद अहम पहल माना जा रहा है।
यह कदम आने वाले वर्षों में स्वच्छ और भरोसेमंद चुनावी प्रणाली की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।