बिहार में ताड़ के पेड़ों की कटाई पर एनजीटी का नोटिस

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने बिहार में ताड़ के पेड़ों की बड़े पैमाने पर हो रही कटाई और उससे जुड़ी बिजली गिरने की घटनाओं में हो रही मौतों को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। एनजीटी ने इस मामले में कई प्रमुख विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत दर्ज हुआ मामला

एनजीटी की नई दिल्ली स्थित मुख्य पीठ ने मीडिया में आई एक रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि यह मामला पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आता है। इसके तहत बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रांची क्षेत्रीय कार्यालय, बिहार आपदा प्रबंधन विभाग, और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया गया है।

मामला कोलकाता पीठ को सौंपा गया, सुनवाई 7 अगस्त को

एनजीटी ने इस मामले को आगे की सुनवाई के लिए कोलकाता पीठ को स्थानांतरित कर दिया है और सुनवाई की अगली तिथि 7 अगस्त 2025 निर्धारित की है। सभी संबंधित विभागों को उस तिथि तक अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

ताड़ के पेड़ों की कटाई और बिजली गिरने में संबंध

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार में ताड़ी निषेध के कारण ताड़ के पेड़ों का आर्थिक महत्व समाप्त हो गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई है। इससे लोगों ने अब ताड़ के पेड़ लगाना लगभग बंद कर दिया है। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इन पेड़ों की कटाई के चलते बिजली गिरने की घटनाओं में इजाफा हुआ है, जिससे मौतों की संख्या भी बढ़ी है।

2016 से अब तक 2446 मौतें

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 से अप्रैल 2025 तक बिजली गिरने से 2446 मौतें दर्ज की गई हैं। इनमें से अधिकांश घटनाएं दोपहर 12:30 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच होती हैं, जब लोग खेतों में काम कर रहे होते हैं।

सर्वाधिक प्रभावित जिले

बिजली गिरने की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं:

  • गया
  • औरंगाबाद
  • रोहतास
  • पटना
  • नालंदा
  • कैमूर
  • भोजपुर
  • बक्सर

निष्कर्ष

एनजीटी की इस कार्रवाई से साफ है कि पेड़ कटाई और जलवायु प्रभाव के बीच के रिश्ते को लेकर अब अधिक सतर्कता बरती जा रही है। आने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि पर्यावरणीय नुकसान और मानवीय मौतों के जिम्मेदार कौन हैं और क्या सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।