भगवा कुर्ते-गमछे में दिखे प्रधानमंत्री, कन्याकुमारी में पीएम मोदी के ध्यान का दूसरा दिन

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी दौरे पर हैं। वे एक जून की शाम तक विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यानमग्न रहेंगे। आज उनके ध्यान का दूसरा दिन है। पीएम मोदी के ध्यान का एक वीडियो सामने आया है, वीडियो में पीएम मोदी भगवा कुर्ता और गमछे में दिख रहे हैं। वे स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष बैठकर ध्यान कर रहे हैं। उनके हाथों में माला है और ओम की आवाज गूंज रही है। 

इस ध्यान मंडपम की खास बात यह है कि यह वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद ने देश भ्रमण के बाद तीन दिनों तक ध्यान किया था। यहीं उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर साधना की थी।

पीएम मोदी गुरुवार को कन्याकुमारी पहुंचे थे। प्रधानमंत्री धोती पहने दक्षिण भारत की पारंपरिक पोशाक में दिखे। उन्होंने ऑफ-व्हाइट रंग का शॉल ओढ़ रखा था। कन्याकुमारी पहुंचने के बाद भगवती अम्मन मंदिर में प्रार्थना और पूजा-अर्चना की। बता दें, आम चुनाव का प्रचार थमने के बाद पीएम मोदी हर बार आध्यात्मिक यात्रा पर जाते हैं और 2019 के चुनाव प्रचार के बाद वे केदारनाथ गए थे और साल 2014 में वे शिवाजी महाराज से संबंधित प्रतापगढ़ गए थे।

यहीं उन्हें भारत माता के हुए थे दर्शन 

भारत दर्शन के दौरान विवेकानंद ने आम लोगों की तकलीफ, दर्द, गरीबी, आत्म सम्मान और शिक्षा की कमी को नजदीक से जाना था। समुद्र तट से करीब 500 मीटर दूर स्थित चट्टान पर विवेकानंद 24 दिसंबर 1892 को तैर कर पहुंचे थे। 25 से 27 दिसंबर तक उन्होंने इसी चट्टान पर ध्यान किया था। उन्होंने यहां भारत के भविष्य के लिए विकसित भारत का सपना देखा था।  यह वही जगह है, जहां उन्हें भारत माता के दर्शन हुए थे। इसी स्थान पर उन्होंने अपना बाकी जीवन लोगों को समर्पित करने का सपना देखा था। विवेकानंद शिला पर विवेकानंद स्मारक बनाने के लिए भी लंबा संघर्ष चला है। इसमें एकनाथ रानाडे ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

कई मायनों में खास है कन्याकुमारी
कन्याकुमारी कई मायनों में भारत के लिए खास है। यहीं पर भारत की पूर्वी और पश्चिमी तटीय रेख मिलती है। कन्याकुमारी में ही अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी का मिलन होता है। कन्याकुमारी जाकर एक तरह से पीएम मोदी ने राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया है।

राष्ट्रीय एकता का संकेत दे रहे हैं
इस भौगोलिक इलाके का एक महत्व यह भी है कि कन्याकुमारी का यह स्थान भारत का सबसे दक्षिणी छोर है। इसके अलावा इसी स्थान पर भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट की रेखाएं मिलती हैं। यह हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है।