भटके कुत्ते-बिल्लियों को खाना देने वालों को परेशान किया तो खैर नहीं, BMC की नई गाइडलाइन जरूर पढ़ लें

जानवरों पर दया करना इंसानियत का एक अहम पहलू माना जाता है, लेकिन अकसर यही संवेदनशीलता लोगों को मुश्किलों में डाल देती है। खासकर महानगरों में जब कोई भटके हुए कुत्तों या बिल्लियों को खाना खिलाता है, तो आस-पास के लोग आपत्ति जताते हैं। लेकिन अब मुंबई में ऐसे पशुप्रेमियों को राहत मिलने जा रही है।

BMC की नई गाइडलाइन: अब संवेदनशीलता को मिलेगा कानूनी संरक्षण

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) ने पालतू और सामुदायिक (community) जानवरों को लेकर एक नई विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति भटके हुए जानवरों को खाना खिलाता है, तो उसे तंग करना या परेशान करना अब एक दंडनीय अपराध होगा।

प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

  • पालतू कुत्तों के मालिकों के लिए लाइसेंस लेना और कर (tax) चुकाना अनिवार्य होगा।
  • सामुदायिक जानवरों को खाना खिलाने वालों को किसी भी प्रकार से परेशान नहीं किया जा सकता
  • इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
  • यह गाइडलाइन BMC के पशुवैद्यकीय आरोग्य विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

सुप्रीम कोर्ट और पशु कल्याण बोर्ड की सिफारिश पर फैसला

BMC का कहना है कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के निर्देशों के तहत उठाया गया है। उद्देश्य है – इंसानों और जानवरों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना।

जमीनी हकीकत और चुनौतियाँ

हालांकि, वास्तविकता यह है कि रेज़िडेंट वेलफेयर सोसायटीज़ (RWAs) और प्राणिमित्र कार्यकर्ताओं के बीच अक्सर विवाद होते हैं। कई बार खाना फैल जाता है, कुत्तों के झुंड इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे स्थानीय निवासियों — खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों — में डर का माहौल बन जाता है।

इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या BMC ने सोसायटीज़ में जाकर इस गाइडलाइन के कार्यान्वयन को समझाने के लिए संवाद किया है? और क्या प्राणिमित्रों को इस बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे जानवरों को कैसे सुरक्षित और जिम्मेदारी से खाना खिलाएं?

सह-अस्तित्व की दिशा में सकारात्मक पहल

मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में इंसान और जानवर का सह-अस्तित्व एक संवेदनशील मुद्दा है। नई गाइडलाइन को सकारात्मक कदम माना जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसके सफल क्रियान्वयन के लिए ज़रूरी है:

  • स्पष्ट संवाद
  • जन-जागरूकता अभियान
  • संतुलित और सख्त कार्रवाई

इससे न केवल जानवरों को सम्मान मिलेगा, बल्कि पशुप्रेमियों को भी उनका अधिकार मिलेगा — डर के बिना, दया के साथ।