भाजपा के अंदरखाने में मची रार से पार्टी नेतृत्व तो पेशोपेश में ही है, लेकिन इससे सबसे अधिक चिंता संघ परिवार को हो रही है। संघ परिवार को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि भाजपा नेताओं का यही हाल रहा तो कई दशकों की मेहनत पानी तो फिरेगा ही, साथ ही हिंदुत्व की अलग जगाने के अभियान को भी झटका लग सकता है। इसलिए संघ परिवार प्रत्यक्ष तौर पर भले ही अब तक भाजपा नेताओं के अहम की लड़ाई से दूरी बनाए हुए है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही संघ की तरफ से सियासी उठापठक को शांत करने की पहल की जाएगी। इसके लिए संघ परिवार में भी अंदरखाने मंथन किया जा रहा है। दरअसल संघ परिवार की सबसे बड़ी चिंता यह है कि विकास के साथ ही राम मंदिर और काशी विश्वनाथ जैसे लोकप्रिय धार्मिक एजेंडे पर बेहतर काम करने के बावजूद लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा का ग्राफ तेजी से गिरा है उससे पार्टी को तगड़ा झटका लगा है।
यह स्थिति न तो भाजपा के लिए मुफीद और न ही संघ के लिए। ऐसे में संघ को यह चिंता सता रही है कि अगर भाजपा के नेताओं द्वारा इसी तरह से अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने को लेकर होड़ जारी रही तो इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है। इसका असर सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के अभियान पर पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो संघ परिवार का यह भी मानना है कि ‘सरकार से बड़ा संगठन’ की आड़ लेकर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए लड़ाई लड़ रहे अतिमहत्वाकांक्षी भाजपा नेताओं की वजह से कहीं यूपी हाथ से न निकल जाए।