भारत के औद्योगिक सामान आयात में चीन की हिस्सेदारी पिछले 15 वर्षों में 21 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार दूरसंचार, मशीनरी और इलेक्ट्रानिक्स जैसे चीन के औद्योगिक सामानों पर भारत की बढ़ती निर्भरता के साथ यह आंकड़ा बढ़ा। जीटीआरआई ने कहा कि चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का विषय है, और इस निर्भरता के रणनीतिक निहितार्थ गहरे हैं, जो न केवल आर्थिक बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा आयामों को भी प्रभावित करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से 2024 तक, चीन को भारत का निर्यात सालाना लगभग 16 अरब डॉलर पर स्थिर रहा है। दूसरी ओर, चीन से आयात 2018-19 में 70.3 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 101 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार और उद्योगों को अपनी आयात रणनीतियों का मूल्यांकन करना चाहिए, और अधिक विविध तथा लचीली सप्लाई चेन को बढ़ावा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह न केवल आर्थिक जोखिमों को कम करने के लिए बल्कि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और एकल-देश आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए भी जरूरी है, खासकर चीन जैसे भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धी से। पिछले 15 वर्षों में भारत के औद्योगिक उत्पाद आयात में चीन की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। चीन से आयात में यह वृद्धि भारत के समग्र आयात वृद्धि की तुलना में बहुत तेज रही है, भारत में चीन का निर्यात अन्य सभी देशों से भारत के कुल आयात की तुलना में 2.3 गुना तेजी से बढ़ रहा है। 2023-24 में, भारत का कुल व्यापारिक आयात 677.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें से 101.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर चीन से आया था।